हम युद्ध में लड़े नहीं पर शामिल है!
दो साल हो गए है। एक ऐसे युद्ध के, जिसके हम सब, पूरी दुनिया किसी न किसी रूप में गवाह बनी हैं। इसे सभी ने हथियार उठाकर नहीं, बल्कि स्क्रीन उठाए देखा है। हथेली में थमी उस चमकदार स्क्रीन पर हमने सब होते देखा। भय और भयावहता को लाइव फीड की तरह देखा। फिर धीरे-धीरे देखने की आदत ही बना ली! सात अक्तूबर के दिन जब हमास ने हमला किया तो वह अक्लपनीय था। सब हतप्रभ। कुछ ही घंटों मे 1,200 से अधिक इजराइली मारे गए, ज़्यादातर मासूम नागरिक। घरों में, सड़कों पर, कीबुत्ज़ में, जीवन का उत्सव मनाने वाले...