Nirad C. Chaudhari

  • नीरद सी. चौधरी का लिखा सही साबित हुआ

    भारतीय साहित्य तथा बौद्धिकता का घोर पतन स्वतंत्र भारत में हुआ। ब्रिटिश राज में हमारी भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्य रचे जाते रहे। नई साहित्य विधाएं पनपीं। देश-विदेश की सर्वोत्तम रचनाओं का अध्ययन-अध्यापन होता था। स्कूल से विश्वविद्यालयों तक सुयोग्य शिक्षक, प्रशासक ही नियुक्त, प्रोन्नत, सम्मानित होते रहे। यह सब स्वतंत्र भारत में तेजी से गिरा।..जिस यूरोपीय शिक्षा से ही यहाँ असंख्य विद्वान, चिंतक, वैज्ञानिक, साहित्यकार बने, उसी की अंधनिन्दा करके गत सौ साल से हमारे नेताओं ने सस्ती तालियाँ बटोरी हैं। वे अनजान जनता व खुद को भी बेवकूफ बनाते हैं। ब्रिटिश राज और देसी राज-1: अनूठे इतिहासकार नीरद सी....

  • क्या नीरद चौधरी गलत थे?

    नीरद चौधरी का आधारभूत अवलोकन यह था कि भारत मानो लोहे का एक विशाल बेलन (पिस्टन) है, जिसे अंग्रेजों ने खींच कर स्थिर किया और दृढ़ता से स्थिर रखा। जिन भारतीयों ने अंग्रेजों का स्थान लिया वे दुखती बाँह से किसी तरह उस बेलन को पकड़े हुए हैं। वह बेलन टिकाए रखने के लिए कोई खूँटी या रस्सी नहीं है। भारतीय नेताओं में उस बेलन को पकड़े रखने लायक स्नायुबल नहीं है। फलत: ‘‘यह बेलन इंच दर इंच हाथों से फिसल रहा है। एक दिन हमारी शक्ति जबाव दे जाएगी, बेलन एक झटके में भयावह आवाज के साथ पुरानी खाई...