मानवीय करुणा और विडंबना का चित्रकार
कृष्ण खन्ना ने अपनी कला को इवेंट नहीं बनाया, तमाशा नहीं बनाया। कृष्ण खन्ना बनावटी आधुनिकता के आवरण में लिपटे चित्रकार नहीं थे और यह बात उनके बॉडी लैंग्वेज में भी दिखाई देती है।... अगर चित्रकला की दुनिया में देखा जाए तो कृष्णा खन्ना अपने तमाम साथी कलाकारों से नितांत अलग हैं, उनके यहां आधुनिकता का शोर नहीं है, भय नहीं है, प्रदर्शन नहीं है कोई मुलम्मा नहीं है। शायद यही कारण है कि पांच जुलाई 1925 को पाकिस्तान के लायलपुर में जन्मे कृष्ण खन्ना ने जब अपने जीवन के सौ बसंत पूरे किए तो समकालीन कला की सभी दिग्गज...