तमाम प्रगति के बावजूद
माना जाता है कि इक्कसवीं सदी में दुनिया पुरातन जीवन शैली के साथ-साथ पुरातन मान्यताओं को पीछे छोड़ चुकी है। लेकिन अगर महिलाओं के प्रति भेदभाव की मानसिकता पर ध्यान दें, तो यह राय कतई सच नहीं है। बीसवीं सदी में ही दुनिया के प्रगति के अभूतपूर्व मुकाम पर पहुंच जाने का दावा किया गया था। 21वीं सदी में तो माना जाता है कि दुनिया के अधिकांश हिस्से पुरातन जीवन शैली के साथ-साथ पुरातन मान्यताओं को पीछे छोड़ चुके हैँ। लेकिन अगर महिलाओं के प्रति भेदभाव की मानसिकता पर ध्यान दें, तो यह राय सच नहीं है। हकीकत यह है...