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  • विश्व बैंक की चेतावनी

    साल 1990 के बाद से सिर्फ 34 मध्य आय वाले देश ही उच्च-आय वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो सके। बाकी मिडल इनकम ट्रैप में फंस कर रह गए। विश्व बैंक के मुताबिक भारत को इस तजुर्बे से सीख लेनी चाहिए। विश्व बैंक ने भारत को माकूल चेतावनी दी है। कहा है कि 100 से अधिक देशों को उच्च-आय वाला देश बनने की राह में गंभीर बाधाओं से रू-ब-रू होना पड़ सकता है। इनमें भारत भी है। बैंक ने ऐसे देशों को ‘मध्यम-आय के जाल’ से बचने की सलाह दी है। "वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024: द मिडल इनकम ट्रैप"...

  • बाघ भी शिकार बने

    तथ्य यह है कि बाघों की अवैध हत्या हुई और बाघ संरक्षण विभाग उसे रोकने में नाकाम रहा। ना सिर्फ विफल रहा, बल्कि कई मामलों में तो सघन जांच से ऐसे मामलों की तह तक पहुंचने की भी उसने कोशिश नहीं की। हेडलाइन मैनेजमेंट और अवधारणा प्रबंधन के इस दौर का शिकार भारत के बाघ भी बने हैं। आम धारणा है कि गुजरे दशक में बाघ संरक्षण के लिए प्रभावशाली कार्य हुए हैं, जिसके परिणाम बाघों की बढ़ी संख्या के रूप में देखने को मिला है। लेकिन अब एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट से कुछ अलग ही कहानी...

  • Delhi Water Crisis पर सुप्रीम कोर्ट ने यमुना बोर्ड की बैठक का दिया निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने आज ऊपरी यमुना रिवर बोर्ड से कहा कि दिल्लीवासियों के सामने आने वाले जल संकट के मद्देनजर सभी संबंधित राज्यों की एक आपात बैठक 5 जून को आयोजित कर 6 जून तक शीर्ष अदालत में पानी आपूर्ति से संबंधित स्थिति रिपोर्ट पेश करें। न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन ने दिल्ली सरकार की याचिका पर संबंधित पक्षों की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि पांच जून को बोर्ड की बैठक आयोजित करें, क्योंकि चार...

  • चुनाव में चर्चा नहीं

    देश में आम चुनाव का माहौल है। अनगिनत गारंटियां जनता के सामने रख रही हैं। लेकिन इनमें स्वच्छ वातावरण किसी पार्टी की प्राथमिकता नहीं है, जबकि प्रदूषण रिकॉर्ड तोड़ रहा है। भारत दुनिया के सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले तीन देशों में टाप पर है। नई दिल्ली फिर दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी बन गया है। बिहार के बेगूसराय को दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित स्थान घोषित किया गया है। इनके अलावा भारत दुनिया के सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले तीन देशों में शामिल पाया गया है। बाकी दो देश पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं। ये तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्विट्जरलैंड...

  • क्या आप खुश है, क्या खुशी देखी?

    ख़ुशी क्या है? वह कैसी होती है? पहली बात तो यह कि ख़ुशी मेरा, आपका, किसी का भी स्थाई भाव नहीं होती। वह आती है और चली जाती है, मिलती है और छिन जाती है। क्या ऐसा कोई है जो हमेशा खुश रहता हो? मसखरे तक हमेशा खुश नहीं रहते। यदि हम ध्यान से देखें तो उनके मुखौटे के पीछे हमें हमेशा आनंद से चमकती आँखें नजर नहीं आएंगी। खुशी का आज यह विषय ताजा वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट से है। यह रिपोर्ट हमें बहुत कुछ बताती है और जो वह बताती है वह डरावना है। दुनियादारी को महत्व देने वाल...

  • समस्या बहुत गंभीर है

    लिबरल डेमोक्रेसी के पैरोकारों के लिए यह गंभीर आत्म-मंथन का विषय होना चाहिए। उन्हें विचार इस सवाल पर करना चाहिए कि लिबरल डेमोक्रेसी जन आकांक्षाओं को पूरा करने में क्यों विफल रही, जिससे लोगों की निगाह में इसका आकर्षण घट गया है? जब कोई घटना इक्का-दुक्का ना रह कर व्यापक रूप से होती दिखे, तो फिर उसकी वजह को सतही तौर पर नहीं समझा जा सकता। ऐसी परिघटना को प्रेरित करने वाले कारणों की जड़ें कहीं गहरी होती हैं। आज की एक परिघटना यह है कि उदार लोकतंत्र दुनिया भर में कमजोर हो रहा है। इस घटनाक्रम पर नजर रखने...

  • अरबपतियों का कसता शिकंजा

    ऑक्सफेम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शीर्ष पांच अरबपतियों की संपत्ति 2020 के बाद से दोगुनी हो गई है। यानी जब कोरोना महामारी की मार से आम जन की अर्थव्यवस्था बिगड़ी, इन अरबपतियों के लिए ये आपदा एक बेहतरीन अवसर साबित हुई। अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था ऑक्सफेम की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि हर वर्ष जब स्विट्जरलैंड के शहर दावोस में दुनिया भर के आर्थिक एवं राजनीतिक कर्ता-धर्ता जुटते हैं, तो वह उन्हें आगाह करता है। वह बताता है कि ये कर्ता-धर्ता जिन नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं, वह सबकी खुशहाली लाने के अपने वायदे...

  • तमाम प्रगति के बावजूद

    माना जाता है कि इक्कसवीं सदी में दुनिया पुरातन जीवन शैली के साथ-साथ पुरातन मान्यताओं को पीछे छोड़ चुकी है। लेकिन अगर महिलाओं के प्रति भेदभाव की मानसिकता पर ध्यान दें, तो यह राय कतई सच नहीं है। बीसवीं सदी में ही दुनिया के प्रगति के अभूतपूर्व मुकाम पर पहुंच जाने का दावा किया गया था। 21वीं सदी में तो माना जाता है कि दुनिया के अधिकांश हिस्से पुरातन जीवन शैली के साथ-साथ पुरातन मान्यताओं को पीछे छोड़ चुके हैँ। लेकिन अगर महिलाओं के प्रति भेदभाव की मानसिकता पर ध्यान दें, तो यह राय सच नहीं है। हकीकत यह है...

  • मायूसी एक भ्रम है!

    हमेशा ऐसा ही रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से भी इसी बात की पुष्टि हुई है। लोग मान रहे हैं कि नैतिकता का पतन हो रहा है। तकरीबन तीन दशक पहले निराशावाद पर एक किताब आई थी। उसमें कहा गया था कि दुनिया में हमेशा ऐसा रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से सामने आए निष्कर्ष ने उस किताब...

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