पुराना पड़ गया फॉर्मूला?
आसान शर्तों पर ऋण की उपलब्धता बढ़ा कर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशें कामयाब नहीं हुई है। मनी सप्लाई बढ़ाने के कदमों का क्रेडिट ग्रोथ पर ना के बराबर असर हुआ है। यह समझ अब गलत साबित हो रही है कि बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक नकदी उपलब्ध होने पर आर्थिक वृद्धि दर तेज होती है। मान्यता है जब बैंक आसान शर्तों पर कर्ज देते हैं, तो लोग ऋण लेकर टिकाऊ उपभोक्त सामग्रियों या मकान आदि की अधिक खरीदारी करते हैं। इससे बढ़ी मांग के कारण उद्योगपति निवेश बढ़ाते हैं, जिससे आर्थिक...