shankar sharan

  • नीरद सी. चौधरी का लिखा सही साबित हुआ

    भारतीय साहित्य तथा बौद्धिकता का घोर पतन स्वतंत्र भारत में हुआ। ब्रिटिश राज में हमारी भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्य रचे जाते रहे। नई साहित्य विधाएं पनपीं। देश-विदेश की सर्वोत्तम रचनाओं का अध्ययन-अध्यापन होता था। स्कूल से विश्वविद्यालयों तक सुयोग्य शिक्षक, प्रशासक ही नियुक्त, प्रोन्नत, सम्मानित होते रहे। यह सब स्वतंत्र भारत में तेजी से गिरा।..जिस यूरोपीय शिक्षा से ही यहाँ असंख्य विद्वान, चिंतक, वैज्ञानिक, साहित्यकार बने, उसी की अंधनिन्दा करके गत सौ साल से हमारे नेताओं ने सस्ती तालियाँ बटोरी हैं। वे अनजान जनता व खुद को भी बेवकूफ बनाते हैं। ब्रिटिश राज और देसी राज-1: अनूठे इतिहासकार नीरद सी....