लोकतंत्र में किसान जैसे दुश्मन सेना!
किसानों के साथ यह कैसा सलूक? दुश्मन सेनाको रोकने के लिए जैसे राजे-रजवाड़ों के समय किले के बाहर खाइयां खोद दी जाती थी। शहर केदरवाजों पर बड़ी बड़ी कीलें जड़ दी जाती थीं। दीवार पर खौलते हुए तेल कीकड़ाहियां होती थीं। अभी मंगलवार को जब यह लिख रहे हैं तो हरियाणा केशंभू बार्डर पर पुलिस किसानों पर आसूं गैस के गोले दाग रही है। ऊपर आसमानसे ड्रोन से आंसू गैस के गोले फेंके जो रहे हैं। पत्रकारों को करीब 5किलोमीटर दूर रोक दिया गया है।यह क्या दुश्मन से निपटने से कम है? लोग कहते हैं धर्म का नशा क्या होता...