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  • लोकतंत्र में किसान जैसे दुश्मन सेना!

    किसानों के साथ यह कैसा सलूक?  दुश्मन सेनाको रोकने के लिए जैसे राजे-रजवाड़ों के समय किले के बाहर खाइयां खोद दी जाती थी। शहर केदरवाजों पर बड़ी बड़ी कीलें जड़ दी जाती थीं। दीवार पर खौलते हुए तेल कीकड़ाहियां होती थीं। अभी मंगलवार को जब यह लिख रहे हैं तो हरियाणा केशंभू बार्डर पर पुलिस किसानों पर आसूं गैस के गोले दाग रही है। ऊपर आसमानसे ड्रोन से आंसू गैस के गोले फेंके जो रहे हैं। पत्रकारों को करीब 5किलोमीटर दूर रोक दिया गया है।यह क्या दुश्मन से निपटने से कम है? लोग कहते हैं धर्म का नशा क्या होता...

  • क्यों किसानों की मांगे नहीं मानते?

    ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार ने एक साल तक चले किसान आंदोलन का सबक भुला दिया है। तभी वह एक बार फिर किसान आंदोलन को रोकने और किसानों को दबाने के लिए उन्हीं उपायों का सहारा ले रही है, जिनका इस्तेमाल 2020-21 के किसान आंदोलन के समय किया गया था। तब किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए रास्ते बंद किए गए। फोन और इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई। किसानों को बदनाम करने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम विकसित किया गया, जिसने किसानों और उनसे सहानुभूति रखने वालों को देशद्रोही ठहराया। किसानों को विदेश से फंडिंग...