सरकार संवाद करे, जोर आजमाइश नहीं
जैसे ही कोई कहता है कि लद्दाख की घटना से सरकार को सबक लेना चाहिए वैसे ही उसको युवाओं को उकसाने वाला और देश विरोधी बताया जाने लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है। लद्दाख की घटना से या उससे पहले पड़ोस के देशों बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल की घटना से या फ्रांस से लेकर ब्रिटेन तक हो रहे प्रदर्शनों से सबक लेने की बात करने वाले लोग असल में शुभचिंतक हैं, जो चाहते हैं कि भारत में ऐसी घटनाओं का दोहराव नहीं हो। लद्दाख की घटना या उससे पहले दुनिया के अनेक देशों में हुई घटनाओं का सबक यह है...