इनके आगे तो कुत्ते भी “भिंगी बिल्ली” से!
अंधभक्त और तमाम संवैधानिक संस्थाओं पर सत्ता द्वारा बैठाए गए अधिकारी इस दौर में वफादारी और भौकने के संदर्भ में कुत्तों को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं – अंतर बस इतना है कि कुत्तों की वफादारी निस्वार्थ होती है, जबकि भक्तों की वफादारी की तय कीमत है| कुत्ते बिना कारण किसी को तंग नहीं करते जबकि भक्त तो किसी की जान लेकर फिर कारण गढ़ते हैं| आजकल कुत्ते समाचारों में हैं| हमारे देश में समाचारों, विशेष तौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचारों, में होना भी एक बड़ी उपलब्धि है| समाचारों के नाम पर चैनल बढ़ते जा रहे हैं और समाचार...