आमतौर पर संसद के पटल को पवित्र माना जाता है और यह धारणा है कि वहां सरकार या विपक्ष का कोई व्यक्ति गलत आंकड़े नहीं पेश करेगा या झूठ नहीं बोलेगा। लेकिन कम से कम एक मामले में यह सामने आया है कि सरकार ने संसद के पटल पर भी गलत जानकारी दी है। यह मामला दिल्ली में कुत्ता काटने से होने वाली मौतों से जुड़ा है। असल में पिछले कुछ समय से दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में भी में कुत्ता काटने से होने वाली मौतों को लेकर बड़ा विवाद छिड़ा है। सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है। अदालत ने इस मामले में तो एक दिन देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तलब कर लिया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि 2022 से 2024 के बीच तीन साल में राजधानी दिल्ली में कुत्ता काटने से हुई रेबिज बीमारी से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। केंद्र सरकार के राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने यह जानकारी दी थी। लेकिन सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला है कि इस अवधि में कम से कम 18 लोगों की मौत रेबिज से हुई है। सोचें, 18 लोगों की मौत को सरकार ने आंकड़े से गायब कर दिया! महर्षि वाल्मिकी इन्फेक्शस डीजीज हॉस्पिटल ने 18 लोगों के मरने का आंकड़ा दिया है। यह दिल्ली नगर निगम का संक्रामक रोग का एकमात्र डेडिकेटेड अस्पताल है। केंद्र सरकार ने कुत्ता काटने वाले केसेज की संख्या बताई है लेकिन मरने का आंकड़ा गायब कर दिया है।


