महर्षि दयानन्द का आव्हान था वेदों की ओर लौटो
स्वाधीनता संग्राम के सर्वप्रथम योद्धा, वेद के पूनर्रूद्धारक योगाभ्यासी स्वामी दयानन्द की हत्या व अपमान के कुल 44 प्रयास उनके 1863 में गुरु विरजानंद के पास अध्ययन पूर्ण होने के बाद लगभग बीस वर्षों के कार्यकाल में हुए। जिसमें से 17 बार विभिन्न माध्यमों से विष देकर प्राण हरण के प्रयास थे, फिर भी उनके प्राण हरण का कोई प्रयास सफल नहीं हो सका। लेकिन 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली की संध्या को एक विधर्मी षड्यन्त्र सफल हो गया और विषयुक्त कांच चूर्ण मिश्रित दूध के सेवन से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और अजमेर के अस्पताल में उन्होंने इस संसार...