चीन को दोस्त बताना, मानना, कहना देशद्रोह है
खास तौर पर वे हिंदू तो निश्चित ही, जो अपने को भारत माता का स्वयंसेवक कहते हैं तथा जो राष्ट्रवादी होने का दंभ भरते हैं। पर हां, जो लोग सर्वभूमि गोपाल में पृथ्वी को मनुष्यों का खुला मैदान मानने का मानवतावादी नजरिया लिए हुए हैं या प्रगतिशीलता के नेहरूवादी, माओवादी, नक्सली आइडिया में हिंदी-चीनी भाई-भाई का राग आलापते हुए चीन को समानता, सर्वहारा का मक्का समझते हैं, वे राष्ट्रद्रोह की कैटेगरी में नहीं रखे जाएंगे। इसलिए क्योंकि आखिर विचार और वैचारिक स्वतंत्रता में जीना मनुष्य होने का प्राथमिक लक्षण है। लेकिन जो स्वयंसेवक भारत माता के नाम पर रोहिंग्या या...