Wednesday

25-06-2025 Vol 19

संपादकीय कॉलम

असहमत मंचों की मुसीबत

असहमत मंचों की मुसीबत

सिर्फ सात महीनों में ही करीब 400 संस्थानों विदेशी चंदा लेने संबंधी अनुमति (केएफसीआरए) को रद्द या निलंबित कर दिया गया था।
नूंह का सार-संक्षेप

नूंह का सार-संक्षेप

सावन की आखिरी सोमवारी को हरियाणा के नूंह में शांति बनी रही। प्रशासन की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उसने इसके लिए वहां पुख्ता इंतजाम...
बदहाली गिग वर्कर्स की

बदहाली गिग वर्कर्स की

वैसे तो भारत के आज के राजनीतिक विमर्श में श्रमिक वर्ग ही गायब है, लेकिन उनके बीच भी गिग वर्कर्स तो कुछ ज्यादा ही हाशिये पर हैं।
खुलेआम हत्याओं से चिंता

खुलेआम हत्याओं से चिंता

पिछले दिनों अररिया में पत्रकार विमल कुमार यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
ध्रुवीकरण और अज्ञान

ध्रुवीकरण और अज्ञान

तमाम समाजों के अनुभवों से यह साफ हो चुका है कि राजनीतिक ध्रुवीकरण का सामूहिक अज्ञान से करीबी रिश्ता है।
हर जगह वही हाल!

हर जगह वही हाल!

देश का पूरा फुटबॉल प्रशासन स्पैनिश फुटबॉल संघ के अध्यक्ष लुइस रुबिआलेस के समर्थन में लामबंद है, जिन्हें एक अति धनी और रसूखदार शख्स बताया जाता है। 
खाई बहुत चौड़ी है

खाई बहुत चौड़ी है

सरकार अगर एलएसी पर की हालत को लेकर देश को भरोसे में ले और इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस कराए, तो देश इस विकल्प पर आम सहमति बनाने की...
राष्ट्रीय गर्व का अवसर

राष्ट्रीय गर्व का अवसर

भारत ने यह सफलता लंबे प्रयास और स्वतंत्रता के बाद तुरंत सत्ता में आए नेतृत्व की दूरंदेशी के बूते हासिल की है।
ब्रिक्स की नई यात्रा

ब्रिक्स की नई यात्रा

अपने 15वें शिखर सम्मेलन के साथ पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- का मंच ब्रिक्स अब एक नई यात्रा शुरू करने जा रहा है।
राहत देने वाली खबर

राहत देने वाली खबर

यह हैरतअंगेज लेकिन सच है कि धार्मिक कट्टरता, सांप्रदायिक विद्वेष और हिंसा के आज के दौर में राहत देने वाली ऐसी खबर पाकिस्तान से आई है।
नीतिगत अस्थिरता की मिसाल

नीतिगत अस्थिरता की मिसाल

अचानक आयात या निर्यात को रोक देना नरेंद्र मोदी सरकार की खास पहचान बन चुकी है। फैसले चौंकाने वाले अंदाज में लिए जाते हैं, जिससे प्रभावित होने वाले तबकों...
सहमतियों का बिखराव

सहमतियों का बिखराव

किसी राष्ट्र में लोकतंत्र आम सहमति से चलता है। शिक्षा अगर देश के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों अलग ज्ञान और विश्व दृष्टि देने लगे, तो एक दीर्घकालिक टकराव की...
जो सोचना मुश्किल था

जो सोचना मुश्किल था

देश में संवैधानिक प्रावधान किस तरह अप्रसांगिक होते जा रहे हैं, इसकी ताजा मिसाल मणिपुर में देखने को मिली है।
ब्रिक्स की शिखर बैठक

ब्रिक्स की शिखर बैठक

नए रूप में ब्रिक्स अगर एक स्वायत्त व्यापार एवं मौद्रिक व्यवस्था कायम करने की तरफ बढ़ा, तो उससे दूसरे विश्व विश्व युद्घ के बाद से चल रही व्यवस्थाएं कमजोर...
चीन से संबंध का सवाल

चीन से संबंध का सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों के हवाले से दावा किया है कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है।
प्रतिगामी दौर में अमेरिका

प्रतिगामी दौर में अमेरिका

वहां चिकित्सा विज्ञान से स्वीकृत गर्भपात की दवा एक वयस्क महिला कब और कितनी मात्रा में खाएगी, इसे तय करने के कानून बनाए जा रहे हैं।
मूडीज ने आगाह किया

मूडीज ने आगाह किया

मूडी’ज ने कहा है कि विश्व में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि के मौजूदा ट्रेंड के लिए भविष्य में जोखिम बढ़ सकते हैं।
अब यह नया खतरा

अब यह नया खतरा

दुनिया अब तक कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के असर से नहीं उबरी है। ये घटनाएं खाद्य संकट और महंगाई का कारण बनीं।
क्या है सरकार की मंशा?

क्या है सरकार की मंशा?

भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती।
मीडिया अगर साथ हो!

मीडिया अगर साथ हो!

दशक भर पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टों को लेकर मीडिया ने भ्रष्टाचार का ऐसा नैरेटिव बनाया था, जिससे तत्कालीन यूपीए सरकार की जमीन खिसक गई थी।
जब बात बिगड़ती है

जब बात बिगड़ती है

राजनीतिक संवाद अगर देश के प्रति एक दूसरे की निष्ठा पर संदेह जताने और बदजुबानी तक पहुंच जाए, तो उसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी माना जाना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता

स्वतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता

यह शिकायत गहराती चली गई है कि एक औपचारिक लोकतंत्र रहते हुए भी भारत असल में नव-कुलीनतंत्र में तब्दील होता जा रहा है।
आमदनी गिरने की कहानी

आमदनी गिरने की कहानी

वित्त वर्ष 2022-23 के आय कर रिटर्न के आंकड़ों ने चौंकाया तो नहीं है, लेकिन इस बात की एक बार पुष्टि जरूर की है कि देश में लोगों की...
चिंताजनक है यह तनाव

चिंताजनक है यह तनाव

संसद का मानसून सत्र राजनीतिक तनाव को असाधारण रूप से बढ़ाते हुए खत्म हुआ है। इसकी चरण परिणति दोनों सदनों से सदस्यों का निलंबन है।
ऐसा मत कीजिए

ऐसा मत कीजिए

निर्वाचन आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया संबंधी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय को बदलने का केंद्र सरकार का प्रयास गलत समझ पर आधारित है।
पाकिस्तान का फर्जी लोकतंत्र

पाकिस्तान का फर्जी लोकतंत्र

पाकिस्तान का सियासी माहौल इतना मटमैला हो गया है कि उसके बीच आम चुनाव की बात सिर्फ एक ड्रामा या उससे भी ज्यादा फर्जीवाड़ा मालूम पड़ती है।
अगर मकसद पूरा हो

अगर मकसद पूरा हो

ताजा संदर्भ यह है कि एक संसदीय समिति ने कहा है कि जजों की संपत्ति की घोषणा को अनिवार्य बनाने के लिए कानून लाया जाना चाहिए।
दवा उद्योग का संकट

दवा उद्योग का संकट

डैबिलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के लिए बनी 'कोल्ड आउट' नाम की सर्दी की दवा है, जिसकी इराक में बिक्री होती है।
मणिपुर में बिगड़ते हालात

मणिपुर में बिगड़ते हालात

मणिपुर में अशांति की शुरुआत हुए तीन महीना गुजर गए हैं, लेकिन आज भी हर रोज आने वाली खबर वहां लगातार बिगड़ रहे हालात का संकेत दे रहे हैं।
यही वाजिब सवाल है

यही वाजिब सवाल है

मीडिया रिपोर्टों से साफ है कि नूंह के दंगे में दोनों समुदायों के हिंसक तत्वों ने भागीदारी की। लेकिन बुल्डोजर की कार्रवाई एक समुदाय विशेष के मकानों पर हुई...
सरंक्षण या सरकार का शिकंजा?

सरंक्षण या सरकार का शिकंजा?

केंद्र सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में डेटा प्रोटेक्शन बिल को ध्वनि मत से पास करा लिया। राज्यसभा से भी यह बिल पास हो जाएगा, इसमें...
पाकिस्तान में सियासी अंधेरा

पाकिस्तान में सियासी अंधेरा

पाकिस्तान में लोकतंत्र की कहानी जुगनू की चमक जैसी ही है। उसका 75 साल का इतिहास रोशनी की थोड़ी से आस जगाने के बाद फिर लंबे अंधकार के दौर...
गैर-बराबरी के आंकड़े

गैर-बराबरी के आंकड़े

गुजरे वित्त वर्ष के लिए फाइल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न के आंकड़ों ने एक बार फिर से भारत में आमदनी की बढ़ रही गैर-बराबरी की कहानी बयान की...
राहुल गांधी का रास्ता

राहुल गांधी का रास्ता

ठोस स्थितियों की अपनी समझ के आधार पर राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले थे। कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने जो कहा वह संकेत है कि...
दिमागी सेहत क्यों खराब?

दिमागी सेहत क्यों खराब?

चेतन सिंह के खिलाफ जाने वाला सबसे मजबूत साक्ष्य रेल मंत्रालय का दो अगस्त का बयान है, जिसमें कहा गया था कि आरोपी निजी स्तर पर अपना इलाज करवा...
कहीं कोई जवाबदेही नहीं?

कहीं कोई जवाबदेही नहीं?

हरियाणा के दंगाग्रस्त नूह इलाके में कार्यरत एक सीआईडी अधिकारी ने एक टीवी चैनल को बताया कि उन्होंने हिंसा की तैयारियों के बारे आगाह करते हुए अपने विभाग को...
अमेरिका की साख में सेंध

अमेरिका की साख में सेंध

जो बात कभी सोचना भी कठिन लगता था, वह अब सचमुच हो रहा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की क्रेडिट रेटिंग ट्रिपल ए...
यह तो बेरहमी है

यह तो बेरहमी है

ई विश्वविद्यालयों में फीस में हुई भारी बढ़ोतरी के बाद अब खबर है कि हॉस्टलों और पीजी कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी भी लगा दिया गया है।
हद पार करता उन्माद

हद पार करता उन्माद

यह इतिहास-सिद्ध समझ है कि अगर किसी देश या समाज को उन्माद में उलझा दिया जाए, तो फिर उसे किसी दुश्मन की जरूरत नहीं रह जाती है।
भोथरी हो गई संवेदना?

भोथरी हो गई संवेदना?

ये आंकड़ा सरकार ने संसद में दिया है कि 2019 से 2021 के बीच देश में 13 लाख दस हजार लड़कियां गायब हो गईं।
नफरती पार्टियों का सहारा?

नफरती पार्टियों का सहारा?

रोप में एक के बाद एक देश में धुर दक्षिणपंथी ताकतों का राजनीति में प्रभाव क्यों बढ़ता जा रहा है, यह सारी दुनिया के लिए गंभीर विचार मंथन का...
सिटी स्मार्ट में अवरोध

सिटी स्मार्ट में अवरोध

इस मिशन के तहत देश भर के सौ शहरों को चुना गया और बताया गया था कि  वहां आधुनिक आधारभूत ढांचा विकसित करके उन्हें एक साफ-सुथरे पर्यावरण वाला नगर...
मणिपुर की व्यथा-कथा

मणिपुर की व्यथा-कथा

विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रतिनिधिमंडल की मणिपुर यात्रा से यह बात फिर सामने आई है कि यह राज्य किस तरह एक गृह युद्ध जैसी हालत में जी रहा है।
अविश्वास ही संकट है!

अविश्वास ही संकट है!

संसदीय लोकतंत्र के लिए यह बेहद अफसोस की बात है कि विपक्ष को प्रधानमंत्री से एक खास मुद्दे पर बयान दिलवाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पेश करना पड़ा है।
कुछ और गारंटियां चाहिए

कुछ और गारंटियां चाहिए

अर्थव्यवस्था का मूल्य बढ़ना और उसके आधार पर विश्व में दर्जा बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका श्रेय कोई नेता ले, तो उससे एक अजीबोगरीब संदेश जाता है।
मोदी-शी में सहमति बनी थी?

मोदी-शी में सहमति बनी थी?

सरकार दो-टूक लहजे में चीनी दावे का खंडन करे। या अगर सचमुच कोई सहमति बनी थी, तो फिर देश को बताया जाए कि वह क्या थी?
प्रगति थम गई है

प्रगति थम गई है

देश में आम माहौल ऐसा है, जिसमें सामाजिक प्रगति और जन कल्याण के मुद्दे चर्चा से बाहर बने हुए हैं।
अर्थव्यवस्था की असल कहानी

अर्थव्यवस्था की असल कहानी

भारतीय अर्थव्यवस्था की खुशहाल कहानी प्रचारित करने की कोशिशें अपनी जगह हैं, लेकिन इनके बीच ही देश के आम जन का असली हाल का इजहार मुख्यधारा मीडिया की सुर्खियों...