nayaindia Finance Commission वित्तीय संघवाद का फॉर्मूला

वित्तीय संघवाद का फॉर्मूला

सोलहवें वित्त आयोग से अपेक्षा रहेगी कि वह ऐसा फॉर्मूला सुझाए, जिससे सभी राज्य भारतीय संविधान की भावना के मुताबिक संघ की एक इकाई के रूप में स्वाभिमान से अपना राजकाज चला सकें। साथ ही स्थानीय निकाय स्वायत्त इकाई के रूप काम करने में सक्षम हों।

केंद्र सरकार ने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। रविवार को इस एलान से दो रोज पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयोग के विचारणीय मुद्दों को तय किया था। नव-उदारवादी अर्थशास्त्री अरविंद पनागड़िया इस आयोग के अध्यक्ष होंगे, जो नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में नीति आयोग का नेतृत्व भी कर चुके हैं। पनागड़िया उन गिने-चुने प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में हैं, जो मोदी सरकार के पैरोकार बने हुए हैं। हालांकि वे आयात शुल्क बढ़ाकर घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने की मोदी सरकार की नीति से सहमत नहीं रहे हैं, इसके बावजूद मोटे तौर पर वे उसकी नीतियों के समर्थक हैं। पनागड़िया सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर खर्च बढ़ाने जैसे उपायों के आलोचक हैं। उनकी यह राय उस समय जाहिर हुई, जब उन्होंने विकास के ओडीशा मॉडल की तारीफ की, जबकि राजस्थान की पूर्व अशोक गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना को गलत दिशा में उठाया गया कदम बताया था। अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले वित्त आयोग की सिफारिशों पर उनकी इस सोच का असर नजर आएगा।

एक अप्रैल 2026 से अगले पांच साल तक के लिए इस आयोग को केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे, आपदा सहायता के निर्धारण, और स्थानीय निकायों को धन आवंटन के सिद्धांत तय करने हैं। जीएसटी लागू होने के बाद राज्य केंद्र से मिलने वाले धन पर लगभग पूरी तरह निर्भर हो गए हैं। उनकी लाचारी कोरोना काल में सबको देखने को मिली थी। 16वें वित्त आयोग से अपेक्षा रहेगी कि वह ऐसा फॉर्मूला सुझाए, जिससे सभी राज्य भारतीय संविधान की भावना के मुताबिक संघ की एक इकाई के रूप में स्वाभिमान से अपना राजकाज चला सकें। वरना, जीएसटी पर पहले से मौजूद सवाल और गहरा जाएंगे। इसके साथ ही स्थानीय निकायों के लिए धन आवंटन की ऐसी व्यवस्था की अनिवार्यता है, जिससे ये निकाय संविधान के 73वें और 74वें संशोधन की भावना के मुताबिक एक संपूर्ण एवं स्वायत्त इकाई के रूप काम करने में सक्षम हो सकें। इन मकसदों का नव-उदारवादी अर्थशास्त्र से भी कोई अंतर्विरोध नहीं है। इसलिए अपेक्षा है कि पनागड़िया आयोग इन मामलों में जारी संशयों का हमेशा के लिए अंत कर देगा।

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