छुड़ा पाने में नाकामी के कारण बड़ी संख्या में लोगों का कर्ज के लिए गिरवी रखा गया सोना अगर नीलाम हो रहा हो, तो निश्चित रूप से उसे आम परिवारों की बढ़ती आर्थिक दुर्दशा का ही संकेत समझा जाएगा।
अगर घर का सोना बतौर थाती रखकर ऋण लेने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है, तो यह निश्चित रूप से देश की अवस्था की एक झलक है। छुड़ा पाने में नाकामी के कारण बड़ी संख्या में लोगों का सोना नीलाम हो रहा हो, तब तो निश्चित रूप से उसे आम परिवारों की बढ़ती आर्थिक दुर्दशा का संकेत समझा जाएगा। देश में मुथूट, मल्लपुरम और आईआईएफएल तीन सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां हैं, जो गोल्ड लोन (यानी सोना गिरवी रखवा कर कर्ज) देती हैं। इनमें से मुथूट ने पिछले दिसंबर में 381 करोड़ रुपये का गिरवी रखा गया सोना नीलाम किया।
इसके पहले सितंबर में उसने 236 करोड़ और जून 2023 में 110 करोड़ रुपये का सोना उसने नीलाम किया था। इस कंपनी ने 2020-21 में 385 करोड़ रुपये का गिरवी सोना नीलाम किया था, जबकि 2021-22 ममें उसने 7,440 करोड़ रुपये का सोना नीलाम किया। इस बारे में ठोस आंकड़े हैं कि कोरोना काल में देश में आई बदहाली ने सोना गिरवी रखने के मामले बढ़े हैं। 2020 में 67,935 करोड़ रुपये का सोना गिरवी था, जो सितंबर 2023 तक 2,39,668 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था।
ये कारोबार इतना फैला है कि इस क्षेत्र में सक्रिय कंपनियां नियमों का कथित उल्लंघन कर मुनाफा कमाने लगी हैं। हालात यहां तक पहुंचे हैं कि गोल्ड लोन का कारोबार करने वाली कंपनियों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक को कदम उठाने पड़े हैं। इसी महीने इस क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी आईआईएफएल के नया गोल्ड लोन देने पर रोक लगा दी। उधर वित्त मंत्रालय ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों से कहा है कि वे अपने गोल्ड फोर्टफोलियो की गहराई से समीक्षा करें। शिकायत है कि बड़ी संख्या में ऋण वितरण करने की होड़ में इन कंपनियों ने सोने की शुद्धता और वजन की बिना ठीक से जांच किए कर्ज वितरित किए हैं।
चूंकि वे बिना प्रामाणिक प्रक्रियाओं का अनुपालन किए गिरवी सोने की नीलामी कर रही हैं, इसलिए वे जोखिम का ख्याल नहीं करतीं। जाहिरा तौर ये सूरत देश की बहुत बड़ी आबादी की बदहाली का संकेत है, जिसका फायदा कुछ कंपनियां उठा रही हैं।