राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

आमदनी गिरने की कहानी

2019-20 में तीन करोड़ 57 लाख 52 हजार 260 व्यक्ति ऐसे थे, जिन्होंने आय कर का भुगतान किया था। पिछले 31 मार्च को पूरे वित्त वर्ष में हाल यह रहा कि आय कर चुकाने वाले लोगों की संख्या दो करोड़ 23 लाख 93 हजार 891 पर सीमित रही।

वित्त वर्ष 2022-23 के आय कर रिटर्न के आंकड़ों ने चौंकाया तो नहीं है, लेकिन इस बात की एक बार पुष्टि जरूर की है कि देश में लोगों की आमदनी का स्तर संभल नहीं रहा है। जिस समय दुनिया सबसे गति से भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने के अनुमानों को लेकर देश में खुशफहमी का माहौल है, आय कर रिटर्न के आंकड़े हकीकत से हमारा सामना कराते हैं। कोरोना महामारी की मार पड़ने के तीन साल बाद आलम यह है कि 2019-20 की तुलना में असल आय कर चुकाने वाले लोगों की संख्या आज भी तकरीबन एक करोड़ कम बनी हुई है। 2019-20 करोना महामारी के पहले का आखिरी वित्त वर्ष था। उस साल तीन करोड़ 57 लाख 52 हजार 260 व्यक्ति ऐसे थे, जिन्होंने आय कर का भुगतान किया था। पिछले 31 मार्च को पूरे वित्त वर्ष में हाल यह रहा कि आय कर चुकाने वाले लोगों की संख्या दो करोड़ 23 लाख 93 हजार 891 पर सीमित रही।

इस बीच की अवधि इस बात का भी खूब शोर रहा है कि आय कर रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ रही है। टेक्नोलॉजी के विकास और अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने की सरकार की कोशिशों के बीच ऐसा सचमुच हुआ है, लेकिन जो लोग असल में टैक्स चुकाते हैं, उनकी संख्या में वैसा कोई उछाल नहीं देखा गया है। अगर देश के विभिन्न हिस्सों से चुकाए गए आय कर पर गौर करें, तो आमदनी क्षेत्रीय विषमता की भी कहानी इन आंकड़ों से सामने आती है। तो हकीकत यह है कि 140 करोड़ की आबादी में देश में सिर्फ लगभग सवा दो करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी सालाना आमदनी पांच लाख रुपए (डिडक्शन की गणना करें, तो मोटे तौर पर सात लाख रुपए) तक पहुंचती है। जिस देश में दो प्रतिशत से भी आबादी की आय औसतन 50 हजार या उससे ऊपर हो, वह सचमुच कितनी बड़ी आर्थिक शक्ति होने का दावा करने की स्थिति में है- इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। अफसोसनाक यह है कि देश में आम जन की आय कैसे बढ़े, यह सवाल फिलहाल राष्ट्रीय एजेंडे में भी कहीं नहीं है।

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *