nayaindia Mumbai Hoarding Collapse कायदों की जानलेवा बेकद्री

कायदों की जानलेवा बेकद्री

मुख्यमंत्री ने एलान किया है कि मुंबई में लगे सभी होर्डिंग्स का ऑडिट किया जाएगा। अवैध एवं खतरनाक होर्डिंग्स को तुरंत हटा दिया जाएगा। मगर इससे इसका जवाब नहीं मिलता कि ऐसे ऑडिट के लिए इतने बड़े हादसे का इंतजार क्यों किया गया?

मुंबई के घाटकोपर में बिल बोर्ड गिरने की हुई घटना के बाद जो जानकारियां सामने आ रही हैं, उससे स्थानीय प्रशासन में गहराई तक बैठी लापरवाही और संभवतः गंभीर भ्रष्टाचार के भी संकेत मिल रहे हैं। इस हादसे की प्राथमिक जिम्मेदारी रेलवे पुलिस पर जाती है, क्योंकि बिलबोर्ड उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली जमीन पर लगा था। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस बारे में रेलवे पुलिस को एक से ज्यादा बार आगाह भी किया था। बहरहाल, अब महानगर के दूसरे हिस्सों में भी होर्डिंग्स लगाने में नियमों के गंभीर उल्लंघन की सूचनाएं सामने आ रही हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एलान किया है कि मुंबई में लगे सभी होर्डिंग्स का ऑडिट किया जाएगा। अवैध एवं खतरनाक होर्डिंग्स को तुरंत हटा दिया जाएगा। मगर इससे इसका जवाब नहीं मिलता कि ऐसे ऑडिट के लिए इतने बड़े हादसे का इंतजार क्यों किया गया? तूफान और बेमौसम बारिश के कारण गिरा विशाल होर्डिंग स्वीकृत सीमा से तीन गुना बड़ा था। इतना विशाल होर्डिंग सत्ताधारी नेताओं की निगाह से कैसे बचा रहा? होर्डिंग 120 फीट लंबा और इतना ही चौड़ा था। वजन 250 टन बताया गया है।

यह पास के उस पेट्रोल पंप पर जा गिरा, जहां लोग बारिश से बचने के लिए रुके हुए थे। इससे 14 लोगों की मौत हो गई। 70 से अधिक लोग जख्मी हो गए। हादसा कितना भयावह था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एनडीआरएफ की एक टीम पूरी रात फंसे लोगों को निकालने में जुटी रही। होर्डिंग एगो मीडिया नाम की कंपनी ने उस भूखंड पर लगाया था, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस कल्याण निगम को पट्टे पर दिया हुआ है। बीएमसी का दावा है कि होर्डिंग का निर्माण बिना उसकी इजाजत के किया गया। उस जगह पर चार होर्डिंग थे और उन सब को लगाने की मंजूरी पुलिस आयुक्त (रेलवे मुंबई) ने दी थी। यह तो उचित है कि पुलिस ने एगो मीडिया और उसके मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। लेकिन प्रशासन के जिन हिस्सों की मिलीभगत से ऐसी लापरवाही संभव हुई, उनकी जवाबदेही तय करना भी उतना ही जरूरी है।

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