नई दिल्ली। गुजरात के खेड़ा में 2022 में मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर पीटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कानून के किस अधिकार से लोगों को खंभे से बांध कर कोड़े मारे गए? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील मंजूर कर ली और सजा पर रोक भी लगा दी। लेकिन उससे पहले पुलिस की मनमानी कार्रवाई के लिए उसकी आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही और सजा पर रोक अगले आदेश तक बढ़ा दी है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई की है। गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में अवमानना के तहत पुलिसकर्मियों को 14 दिनों की कैद की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के रवैए पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ये कैसा अत्याचार है, लोगों को खंभे से बांध कर सार्वजनिक तौर पर पिटाई करते हैं और फिर इस अदालत से उम्मीद करते हैं।
कोर्ट ने कहा- लोगों को खंभे से बांध कर पीटने का अधिकार आपको कैसे मिल गया? अगर हाई कोर्ट ने 14 दिन की सजा सुनाई गई है तो अब आप हिरासत का आनंद लें। अब आप कोर्ट से कैसे राहत की उम्मीद कर रहे हैं? गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में दोषी चार पुलिसकर्मियों को 14 दिन की सजा दी थी। हालांकि दोषियों के वकील के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने चार उनकी अपील सुनवाई के लिए मंजूर कर ली। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिन की सजा के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में खेड़ा के एक गांव में गरबा कार्यक्रम पर कथित तौर पर पत्थर फेंकने के मामले में पुलिस ने 13 मुस्लिम युवकों को पकड़ा था। पुलिसकर्मियों ने इनमें से कुछ मुस्लिम युवकों को खंभे से बांध कर उनकी सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी।