नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाके में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए मंगलवार को क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास हुआ। हालांकि इस दूसरे प्रयास में भी कामयाबी नहीं मिली। क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयास 23 अक्टूबर को हुआ था। गौरतलब है कि दिवाली के बाद से लगातार हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई ‘बेहद खराब’ की श्रेणी में बना हुआ है।
बहरहाल, मंगलवार को कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग करने कानपुर से विशेष विमान ‘सेसना’ ने उड़ान भरी थी। विमान ने खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार इलाके में छह हजार फीट की ऊंचाई पर बादलों में दोपहर दो बजे केमिकल का छिड़काव किया। आईआईटी कानपुर और दिल्ली सरकार ने बताया कि ट्रायल के चार घंटे के अंदर कभी भी बारिश हो सकती है, लेकिन शाम तक बारिश नहीं हुई। परीक्षण के दौरान यह नहीं बताया गया कि बारिश किस इलाके में होगी।
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार के इस प्रयास का मजाक उड़ाया। वीडियो बना कर उन्होंने कहा, “साढ़े चार बज चुके हैं, बारिश नहीं है। बारिश में भी फर्जीवाड़ा, कृत्रिम वर्षा का कोई नामोनिशान नहीं दिख रहा है। इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा’। असल में मंगलवार को दिल्ली में बादल छाए हुए थे। लेकिन न प्राकृतिक बारिश हुई और न कृत्रिम बारिश हुई।
इससे पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री सिरसा ने बताया कि यह दूसरा ट्रायल था।। इस दौरान आठ फ्लेयर्स छोड़े गए, जिनका वजन दो से ढाई किलो था। प्रक्रिया करीब आधा घंटा चली और बादलों में लगभग 15 से 20 फीसदी नमी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि मंगलवार को ही तीसरा ट्रायल भी किया जाएगा। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया के बाद 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है।


