नई दिल्ली। भारत और फिजी ने सोमवार को रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना को अंतिम रूप दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके फिजी के समकक्ष सितवेनी लिगामामादा राबुका के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और फिजी भले ही दूर हों, लेकिन हमारी आकांक्षाएं समान हैं। इस मौके पर फिजी के प्रधानमंत्री बगल में खड़े थे। राबुका रविवार को तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। प्रधानमंत्री के रूप में यह भारत की उनकी पहली यात्रा है।
समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में फिजी भारत के लिए अहम राष्ट्र है। प्रशांत क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ बढ़ाने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में, भारत फिजी के साथ अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। मोदी और राबुका के बीच वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने दवा, कौशल विकास, व्यापार और क्षमता निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
मोदी और राबुका ने वार्ता के दौरान पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
यहां जारी संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर ‘‘दोहरे मापदंड’’ को खारिज करते हुए इस समस्या से निपटने में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। मोदी ने कहा, ‘‘हमने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मज़बूत करने का निर्णय लिया है।’’ उन्होंने अपने मीडिया वक्तव्य में कहा कि इसके लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत, फिजी की समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए प्रशिक्षण और साजोसामान प्रदान करेगा। अपने संबोधन में मोदी ने ‘‘ग्लोबल साउथ’’ के लिए भारत की प्राथमिकताओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत ‘‘ग्लोबल साउथ’’ के विकास में सह-यात्री है। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसी विश्व व्यवस्था के निर्माण में भागीदार हैं, जहां ग्लोबल साउथ की स्वतंत्रता, विचारों और पहचान का सम्मान किया जाता है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन फिजी के लिए एक खतरा है और भारत इससे निपटने में उसकी मदद करेगा।