Harjinder Singh Dhami :- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने तख्त श्री हजूर साहिब प्रबंधन बोर्ड में सरकार की ओर से नामित सदस्यों की संख्या बढ़ाने की महाराष्ट्र सरकार की जिद को सिख भावनाओं की उपेक्षा करार दिया है। अधिवक्ता धामी ने कहा कि सरकार का अब यह कहना कि बोर्ड में केवल सिख सदस्यों को ही लिया जाएगा, किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि जिन सिख संगठनों के सदस्य कम किए जा रहे हैं, क्या उनके द्वारा नामित सदस्य सिख नहीं थे? एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि सरकार का स्पष्टीकरण केवल भ्रामक है, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार गुरुद्वारे की व्यवस्था अपने हाथ में लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकारों को सिख मामलों में इस तरह हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, बल्कि सिखों के मुद्दे सिखों पर ही छोड़ देना चाहिए। सिख जगत की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर देश में शत्रुतापूर्ण माहौल बनाया जा रहा है, जो देश हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि कल तख्त श्री हजूर साहिब में सिखों के एक बड़े समूह ने सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं, जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। महाराष्ट्र सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और प्रतिनिधि सिख संगठनों के साथ बैठक कर उनकी राय के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। श्री धामी ने कहा कि तख्त श्री हजूर साहिब सिखों के सम्मानित तख्तों में से एक है, जहां के प्रबंधन और रखरखाव के लिए 1956 में बने अधिनियम का उल्लंघन करने की कोई जरूरत महसूस नहीं की जाती है। इसकी स्थापना हर तरफ से सोच-विचार कर की गयी थी। इसमें स्थानीय सिख, प्रतिनिधि सिख संगठन, संसद के सिख सदस्य और सरकार के उचित प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को सिख जगत पर मनमाना फैसला लेने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी इस संबंध में पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुकी है, जिस पर उन्हें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। (वार्ता)