नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबई में हो रहे जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके लिए वे गुरुवार की शाम को दो दिन के दौरे पर दुबई रवाना हुए। प्रधानमंत्री मोदी एक दिसंबर से दुबई में शुरू हो रहे सीओपी-28 के वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन सम्मेलन में शामिल होंगे। इसके अलावा वे कुछ नेताओें के साथ दोपक्षीय बैठक भी करेंगे। प्रधानमंत्री एक दिसंबर को वापस भारत लौट आएंगे। सीओपी-28 की बैठक 12 दिसंबर तक चलेगी।
इसमें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा ब्रिटेन के किंग चार्ल्स, प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस सहित दुनिया भर के 167 नेता जलवायु परिवर्तन और इसके समाधान के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस बैठक का फोकस फॉसिल फ्यूल यानी कोयला से पैदा होने वाले ईंधन और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने पर है। लेकिन बैठक से पहले ही भारत ने कह दिया है कि भारत में बिजली उत्पादन के लिए कोयला सबसे प्रमुख साधन था और रहेगा।
बहरहाल, बैठक में क्लाइमेट फाइनेंस यानी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक मदद देने पर भी चर्चा होगी। पिछले साल मिस्र में हुई सीओपी-27 सम्मेलन में दो सौ देशों ने एक समझौता किया था। इसमें जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार अमीर देशों को गरीब और विकासशील देशों को फंड देने की बात तय हुई थी। सीओपी-28 में तय किया जाएगा कि किस देश को कितना मुआवजा और किस आधार पर मिलेगा साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-कौन से देश मुआवजा देंगे।
बैठक से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त दुबई में उच्च स्तरीय कार्यक्रम ‘ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस’ में शामिल होंगे। विदेश सचिव ने बताया कि सीओपी-28 सम्मेलन के दौरान भारत और स्वीडन मिलकर एक इवेंट का आयोजन करेंगे। यह एनर्जी ट्रांजिशन ग्रुप है। भारत और स्वीडन ने साल 2019 में संयुक्त रूप से इस इवेंट की शुरुआत यूएन-क्लाइमेट एक्शन समिट के दौरान की थी।