नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच मंगलवार को इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों की गिनती के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस पर सुनवाई की। जस्टिस खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि ईवीएम छोड़ कर बैलेट पेपर पर लौटने में कई तरह की समस्याएं हैं। याचिककर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने ईवीएम छोड़ कर बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए लेकिन उससे पहले अभी वीवीपैट पर्चियां मतदाताओं के हाथ में दी जाए और उसे बैलेट बॉक्स में रखा जाए। उन्होंने सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग की।
प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में कहा कि वीवीपैट पर्चियों को बैलेट बॉक्स में डाला जाए। उन्होंने कहा कि जर्मनी में ऐसा ही होता है। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां की मिसाल हमारे यहां नहीं चलती। याचिकाकर्ताओं की तरफ से प्रशांत भूषण के अलावा गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की तरफ से पेश हुए।
मंगलवार को इस मामले में करीब दो घंटे सुनवाई हुई। अब 18 अप्रैल को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि वीवीपैट पर्चियों की सौ फीसदी गिनती और ईवीएम के नतीजों से उनके मिलान को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि मतदाताओं को वीवीपैट की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।
इस मामले में पिछली सुनवाई एक अप्रैल को हुई थी, तब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। फिलहाल किसी भी हर विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम के वोटों का ही वीवीपैट पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपैट खरीदने के लिए पांच हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20 हजार वीवीपैट की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
मंगलवार को इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने ईवीएम को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि आप क्या चाहते हैं? प्रशांत भूषण ने कहा कि पहला, बैलेट पेपर पर वापस जाएं। दूसरा, फिलहाल सौ फीसदी वीवीपैट मिलान हो। अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं। आप चाहते हैं कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो? सुनवाई के दौरान एक वकील ने बताया कि चुनाव आयोग ने कहा है कि सारी पर्चियों को गिनने में 12 दिन का समय लग सकता है।