नई दिल्ली। पांच दिन के लिए बुलाया गया संसद सत्र चार दिन में ही खत्म हो गया। केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था लेकिन यह विशेष सत्र चार दिन बाद यानी 21 सितंबर की कार्यवाही के बाद ही समाप्त कर दिया गया। गुरुवार यानी 21 सितंबर को राज्यसभा में देर रात तक चली चर्चा के बाद महिला आरक्षण बिल पास किया गया उसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इसके साथ ही लोकसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। सर्वदलीय बैठक में सरकार ने आठ विधेयक पास कराने की बात कही थी लेकिन उन पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन आठ विधेयकों में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का भी विधेयक था।
बहरहाल, संसद का विशेष सत्र पूरी तरह से महिला आरक्षण बिल और नए संसद भवन में प्रवेश के नाम रहा। कार्यवाही शुरू होने के बाद पहले दिन पुराने संसद भवन में लोकतंत्र की 75 साल की यात्रा पर चर्चा हुई, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई। इसके अगले दिन पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों की साझा बैठक हुई और वहीं से सभी सांसदों ने नए संसद भवन में प्रवेश के लिए प्रस्थान किया।
विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी 19 सितंबर को नए संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के साथ कार्यवाही की शुरुआत हुई। बाद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। अगले दिन 20 सितंबर को लोकसभा में सात घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हो गया। इसके पक्ष में 454 और विरोध में सिर्फ दो वोट पड़े, जो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के सांसदों ने दिए।
इसके अगले दिन यानी 21 सितंबर को बिल राज्यसभा में पेश हुआ। सदन में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया और बिल पास हो गया। इसके बाद राज्यसभा और लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब महिला आरक्षण बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। देश की आधी विधानसभाओं से पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनके दस्तखत से यह कानून बन जाएगा। अगली जनगणना और परिसीमन के बाद यह कानून लागू होगा, जिससे महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।


