राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

ईडी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

electronic bond

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी से नाराजगी जताई है। एक ही मामले में बार बार पूरक आरोपपत्र दाखिल करने की परंपरा की आलोचना करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इसकी वजह से आरोपियों को जमानत नहीं मिल पा रही है।

बुधवार को झारखंड के एक गिरफ्तारी कारोबारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के बार बार पूरक आरोपपत्र दायर करने को गलत बताया। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी इसलिए ऐसा कर रही है, ताकि मामले में ट्रायल शुरू न हो पाए और आरोपी को जमानत न मिल सके।

सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी जताते हुए ईडी से कहा कि इस तरह की प्रैक्टिस गलत है। ऐसा करके किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते। अदालत ने साथ ही कहा- इस मामले में एक व्यक्ति 18 महीने से जेल में है। इससे हमें परेशानी हो रही है। किसी मामले में हम इस मुद्दे को उठाएंगे। जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू करना जरूरी होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और कैद का जिक्र भी किया। गौरतलब है कि उन्हें फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।

दरअसल जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने झारखंड के अवैध खनन मामले से जुड़े आरोपी प्रेम प्रकाश की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। प्रेम प्रकाश को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी बताया जा रहा है उनके ऊपर कई तरह के आरोप हैं।

इस मामले में ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू पेश हुए थे। सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने उनसे कहा- डिफॉल्ट बेल का मकसद है कि जांच पूरी होने तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाए। आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा।

ताकि शख्स को बिना ट्रायल के जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़े। जस्टिस खन्ना ने आगे कहा- जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए। कानून के मुताबिक, अगर जांच पूरी नहीं हुई है तो जेल में बंद आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार है। नहीं तो आपको फाइनल चार्जशीट सीआरपीसी में निर्धारित समय सीमा के अंदर दायर करनी चाहिए। यह समय सीमा 90 दिन तक होती है।

गौरतलब है कि प्रेम प्रकाश को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने कहा है कि वे 18 महीने जेल में बिता चुके हैं और फाइनल चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।

हालांकि ईडी का कहना था कि आरोपी को रिहा किए जाने पर सबूतों या गवाहों से छेड़छाड़ हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ईडी की इस बात से सहमत नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि अगर आरोपी ऐसा कुछ भी करता है तो आप हमारे पास आएं, लेकिन इस वजह से 18 महीने तक सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं है।

By NI Desk

Get International Hindi News with in-depth coverage of major events, politics, economy, and social issues worldwide. Stay informed with detailed, reliable updates on everything happening around the globe.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें