नई दिल्ली। दस साल सरकार चलाने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार ने कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए सरकार के कार्यकाल पर श्वेत पत्र पेश किया है। 2004 से 2014 तक चली मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों और उस समय हुए कथित घोटालों को इस श्वेत पत्र में शामिल किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया। इस पर कल यानी शुक्रवार को चर्चा होगी। इस श्वेत पत्र में सरकार ने उन सभी मुद्दों को शामिल किया है, जिन पर प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर नरेंद्र मोदी ने 2014 का चुनाव लड़ा था।
निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए 59 पन्नों के इस श्वेत पत्र में 2014 से पहले और 2014 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलनात्मक जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह यूपीए सरकार के दस सालों में कैसी आर्थिक कुव्यवस्था थी, कैसी नीतिगत अपंगता थी और कैसे घोटाले थे, जिनकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था ठहर गई थी और भारत में कारोबार का माहौल बहुत खराब हो गया था, जिसका नुकसान देश को झेलना पड़ा।
श्वेत पत्र में सरकार ने लिखा है- 2014 में कोयला घोटाले ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। 2014 से पहले कोयला खदानों का आवंटन पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने आधार पर किया गया था। कोयला क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता से बाहर रखा गया था। एजेंसियों ने जांच की और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से आवंटित 204 कोयला खदानों का आवंटन रद्द कर दिया। इस श्वेत पत्र में कहा गया है- यूपीए सरकार में 122 दूरसंचार लाइसेंसों से जुड़ा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ। इसमें सीएजी के अनुमान के अनुसार सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
यूपीए सरकार में हुए कथित घोटालों की जानकारी देते हुए इसमें बताया गया है कि कोयला घोटाले में सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसमें 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ से जुड़ कथित खेल घोटाले का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है कि इससे राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया था। गौरतलब है कि इन कथित घोटालों को लेकर ही अन्ना हजारे के नेतृत्व में 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का आंदोलन हुआ था और उसके बाद आम आदमी पार्टी बनी थी। 2014 में भाजपा ने इन मुद्दों पर ही चुनाव लड़ा था। लेकिन 2024 के चुनाव से पहले फिर इन मुद्दों को उठाया जा रहा है। हालांकि सीबीआई की विशेष अदालत ने संचार घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था और कोयला घोटाले में भी इक्का-दुक्का लोगों को अभी तक निचली अदालत से सजा हुई है।