नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार की गई दो कैथोलिक ननों को उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर निशाना बनाया गया है। उन्होंने इसे न्याय का उल्लंघन बताते हुए दोनों महिलाओं की तत्काल रिहाई की मांग की।
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“यह न्याय नहीं, बल्कि भीड़ के नियम की शासन-व्यवस्था है। भाजपा-आरएसएस के अधीन यह उत्पीड़न सुनियोजित है।” उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है, और “हम चुप नहीं बैठेंगे। हम जवाबदेही की मांग करते हैं।”
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में दो ननों सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। दोनों नन केरल की निवासी हैं।
पुलिस के मुताबिक, कार्रवाई बजरंग दल के एक स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर की गई, जिसमें आरोप था कि ये लोग नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करा रहे थे।
घटना के विरोध में सोमवार को संसद परिसर में यूडीएफ (संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा) के सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन, और आईयूएमएल के ई. टी. मोहम्मद बशीर सहित कई सांसदों ने मकर द्वार के सामने प्रदर्शन किया।
सांसदों के हाथों में पोस्टर थे जिन पर लिखा था —
“अल्पसंख्यकों पर हमले बंद करो।”
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ननों की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों और शिकायतकर्ता संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“इन महिलाओं ने कुछ भी गलत नहीं किया। उन्हें हिंसक भीड़ ने सिर्फ उनकी आस्था के कारण निशाना बनाया।” उन्होंने आरोप लगाया कि “भाजपा-आरएसएस के तंत्र में सभी अल्पसंख्यकों को अपराधी समझा जाता है।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में बजरंग दल के गुंडों और पुलिस के बीच की मिलीभगत भाजपा की मंशा को उजागर करती है।”
इससे पहले रविवार को कांग्रेस की केरल इकाई और विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने भी इस गिरफ्तारी की तीखी आलोचना की थी। वेणुगोपाल ने गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।