देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। मंगलवार को इसका बिल विधानसभा में पेश कर दिया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बिल को मसौदे को मंजूरी दी गई थी। उससे पहले इस मसले पर विचार के लिए बनी जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। विधानसभा से पास होकर कानून बनने के बाद उत्तराखंड पहला राज्य होगा, जो समान नागरिक संहिता लागू करेगा।
बहरहाल, उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता का विधयेक पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। विधानसभा में समान नागरिक संहिता का बिल पेश करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा- जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता, बल्कि पूरी देश की निगाहे उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधानसभा में पेश बिल को लेकर कहा कि धामी भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए इसे लेकर आए हैं। भाजपा विधायकों ने सदन में पेश होने के बाद बिल का समर्थन किया और कहा कि यह बिल का किसी को विरोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी के भी अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया गया है। सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं खास कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह महत्वपूर्ण साबित होगा।
बिल पेश होने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। बुधवार को चर्चा के बाद इसे पास किया जा सकता है। बताया जा रह है कि बिल में आदिवास समूह को बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया है। इस बीच विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सदन में कहा- यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट बिल प्रवर समिति को दिया जाए, ताकि इसका विधिक परीक्षण करने के साथ-साथ बिंदु पर गहनता से अध्ययन किया जा सके और विपक्ष को भी पढ़ने का मौका मिल सके।