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डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आखिरी बुद्धिवान और उम्दा प्रधानमंत्री

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आखिरी बुद्धिवान और उम्दा प्रधानमंत्री
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, डॉक्टर मनमोहन सिंह। भारतीय राजनीति का वह सौम्य चेहरा जिसने दिखावेपन से दूर अपनी सक्षमता से देश की दशा और दिशा दोनों को दुरूस्त किया। वित्त मंत्री के तौर पर या फिर प्रधानमंत्री के रुप में उन्होंने भारत को आर्थिक आजादी का रास्ता दिखाया तो दुनिया में भारत की स्वीकार्यता और उसकी असल ताकत को ऐसे पेश किया की सब हैरान थे। बस ये समझ लीजिए कि झूठ, फरेब और अवतार की अवधारणा वाली राजनीति से कोसों दूर भारत के एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री जिन्हें सिर्फ उनके काम और सिर्फ काम के लिए जाना जाएगा। देश ही नहीं दुनिया भी उनकी  बुद्धिमत्ता और समझदारी की कायल रही है। इसलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है।

डॉ. मनमोहन सिंह

भारत के आखिरी बुद्धिमान

और उम्दा प्रधानमंत्री !

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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