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खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, क्या इंसान फिर पाषाण काल की ओर लौटेगा। ये सोचकर एक बार को तो लगता है कि जब हम अलट्रा मॉडर्न एज की ओर बढ़ चले हैं तो फिर ये कैसे संभव हो सकता है। लेकिन सालों साल हमारी अपनी आदतों के चलते अब हम तेजी से फिर उसी ओर लौटते हुए हैं जहां से हजारों हजार साल पहले अफ्रीका में इथोपिया से बाहर निकलकर  होमो सेपियन ने अनुकूल मौसम और हालात के मद्देनजर पूरी धरती को खंगाल डाला था और आज हम मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण दर बदर होने के लिए मजबूर होते जा रहे हैं और इसकी साक्षात गवाही के लिए 62 साल के एक अमेरिकी पत्रकार पॉल सालोपेक पिछले 11 सालों से पूरी धरती को नापने का प्रण लिए उसी रास्ते से पदयात्रा पर हैं जिस रास्ते को 60 हजार या 90 हजार साल पहले होमो सेपियन ने अपनाया था। ऐसे में सवाल ये कि आज जब  प्रतिकूल हालात बनते जा रहे हैं तो फिर आने वाली पीढ़ियों का क्या होगा । इसीलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है।

खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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