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संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, भारत में पिछले दस वर्षों से गजब हो रहा है। संविधान को बाकायदा माथे से लगाकर कहा जाता है कि देश संविधान से चलेगा यानी धर्मनिरपेक्षता के आधार पर। लेकिन दूसरी तरफ बार-बार हिंदू राष्ट्र का ह्ल्ला। जय श्रीराम से लेकर वंदे मातरम् कहलवाने की जिद्द और मस्जिद-मस्जिद मंदिर खोजने की जद्दोजहद। और तो और यहूदी इस्लाम के दुश्मन हैं तो वो उसे अपना रोल मॉडल मानते हैं लेकिन उनमें न यहूदियों जैसी स्पष्टता है न सच्ची राष्ट्रीयता और न ही धर्म के प्रति उनकी तरह प्रतिबद्दता।क्योंकि हमारे हुक्मकरान झांसे, फरेब और दोहरेपन की सोच लिए हुए हैं। इसलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में हम हिंदू चाहते क्या हैं? सीरीज के तीसरे भाग का शीर्षक है।  

संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!

बेईमानी, झूठ, दोहरेपन से मिलेगी सिद्धि?

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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