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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, हिंदूओं की डिक्शनरी से चरित्र और चरित्रवान जैसे शब्दों मानो डिलीट हो गए हो। हिंदू अब उपनिषद् के उस सूत्र ऋतस्य पथ को भूलता जा रहा है जिसका अर्थ सत्य, धर्मं और आत्मसंयम हैं। लेकिन आज के माहौल में वो मनसा, वाचा, कर्मणा से झूठ फरेब और अहंकार के दलदल में फंसता जा रहा है। इसलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है। हिंदू कभी चरित्रवान थे!


