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चीन को दोस्त बताना, मानना, कहना देशद्रोह है

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
चीन को दोस्त बताना, मानना, कहना देशद्रोह है
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नमस्कार मैं हरिशंकर व्यास, खुद को भारत माता का स्वंयसेवक कहने वाले। खुद को स्वंभू राष्ट्रवादी बताने वाले अचानक चीन को अपना दोस्त कहने लगे तो मामला गंभीर भी और गड़बड़ भी। आखिर ऐसा और इसतरह का ह़दय परिवर्तन आत्मघाती ही कहा जा सकता है और ये हमारी कूटनीति का भी कबाड़ा कर देगा। इसलिए अपन तो कहेंगे कॉलम में इस बार मेरे विचार का शीर्षक है। चीन को दोस्त बताना,

मानना, कहना  देशद्रोह है

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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