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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, इन दिनों भारत में मंदिर-मस्जिद और हिंदू मुसलमान के मुद्दे ने समाज को जैसे दो किनारों पर ला खड़ा कर दिया हो और अब हिंदू जिसतरह मुसलमान को किसी भी सूरत में बर्दाशत करने को तैयार नहीं है उसकी कल्पना भर से दिल दहल जाता है कि क्या हम हिंदूओं में 1947 से पहले वाले जिन्ना का जिन्न प्रवेश कर गया है। कॉलम अपन तो कहेंगे में इस बार। हम हिंदू चाहते क्या है इसपर एक सीरीज लेकर आए हैं और पहले सीरीज में मेरे विचार का शीर्षक है
जिन्ना का सपना पूरा
करना या भारत के टुकड़े?