यह कमाल की स्थिति है कि किसी भी राज्य में अगर किसी केंद्रीय एजेंसी से जुड़े अधिकारी के खिलाफ मुकदमा होता है तो उसे बदले की कार्रवाई बताया जाता है और मुकदमे को ट्रांसफर करने की बात कही जाती है। लेकिन जब केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को राज्यों की ओर से बदले की कार्रवाई बताया जाता है तो उस पर कोई ध्यान नहीं देता है उलटे सभी केंद्रीय एजेंसियों को दूध का धुला और राज्यों के नेताओं को भ्रष्टाचार में डूबा हुआ बताते हैं। सवाल है कि जब केंद्रीय एजेंसियों को राज्यों की पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है और उनकी कार्रवाई बदले की कार्रवाई है तो राज्य के नेता क्यों केंद्रीय एजेंसियों पर भरोसा करें?
ताजा मामला तमिलनाडु का है, जहां ईडी के एक अधिकारी को एक डॉक्टर से 20 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि अधिकारी के पास रिश्वत की रकम भी बरामद हुई है लेकिन तमिलनाडु पुलिस और भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच को बदले की कार्रवाई बताया गया। अब ईडी सर्वोच्च अदालत में पहुंची है कि यह मुकदमा तमिलनाडु से बाहर ट्रांसफर किया जाए। केंद्रीय एजेंसियों को क्यों नहीं राज्यों की जांच पर भरोसा हो रहा है? अगर वे राज्यों की एजेंसी पर भरोसा नहीं करेंगी तो राज्यों की एजेंसियां, अधिकारी और नेता उनके ऊपर कैसे भरोसा करेंगे? सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में फैसला करना है कि क्या बदले की कार्रवाई होती है। उम्मीद करनी चाहिए कि इससे धुंध कुछ छंटेगी।