Wednesday

14-05-2025 Vol 19

आपराधिक कानून की बहस से दूर रहे बेहतरीन वकील

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अंग्रेजों के जमाने के बने आपराधिक कानूनों को बदल दिया गया है। आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। लेकिन इन तीनों विधेयकों पर भारत के सबसे बेहतरीन वकीलों ने बहस में हिस्सा नहीं लिया। कायदे से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले देश के सबसे बेहतरीन वकीलों को इसमें हिस्सा लेना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसे तीन वकील, जो राज्यसभा में हैं वे सभी विपक्ष में हैं और चूंकि संसद के दोनों सदनों में से बिना किसी खास वजह से रिकॉर्ड संख्या में विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा रहा था इसलिए वे इस बहस में शामिल नहीं हुए।

संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को जब राज्यसभा से ये तीनों विधेयक पास हुए तो सभापति जगदीप धनकड़ ने इसका जिक्र किया। जब भाजपा के राज्यसभा सांसद और जाने माने वकील महेश जेठमलानी इन विधेयकों पर बोल रहे थे तभी सभापति ने तीन बड़े वकीलों- पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी का नाम लिया। उन्होंने कहा कि ये तीनों वकील इन विधेयकों पर नहीं बोले, जिसका उन्हें बहुत अफसोस है। ध्यान रहे चिदंबरम और सिंघवी दोनों कांग्रेस के सांसद हैं, जबकि कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय जीते हैं। सोचें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों विधेयकों के पास होने को ऐतिहासिक बताया है। लेकिन ऐसे ऐतिहासिक विधेयक भी भारत की संसद में विपक्ष की गैरमौजूदगी में और विषय के सबसे बड़े जानकारों की बहस के बगैर पास होते हैं! प्रधानमंत्री हमेशा भारत को मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहते हैं।

NI Political Desk

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