छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप का मामला रहस्य और रोमांच से भरे फिल्म की तरह नए मोड़ ले रहा है। राज्य में मतदान से ठीक पहले असीम दास नाम का एक व्यक्ति पकड़ा गया, जिसके पास से 5.39 करोड़ रुपए नकद पकड़े गए। उसने केंद्रीय एजेंसी ईडी को बयान दिया कि शुभम सोनी नाम के आदमी के कहने पर उसने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके बाद शुभम सोनी का एक एक वीडियो वायरल हुआ, जो उसने दुबई से जारी किया था। उसने भी सारी बातें बिल्कुल उसी तरह से बताई, जैसे ईडी की हिरासत में से असीम दास ने दिया था। उसने बघेल के साथ साथ उनके सहयोगियों के भी नाम लिए थे।
अब जेल में बंद असीम दास ने कहा है कि वह कभी भी बघेल या विनोद वर्मा या किसी भी कांग्रेसी नेता से नहीं मिला है। उसने एक रुपया भी किसी को नहीं दिया है। उसने कहा है कि उसके पास पकड़े गए रुपए कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करने के लिए रखे गए थे। उसने विशेष जज को लिखी चिट्ठी में यह भी कह कि वह अनपढ़ है लेकिन ईडी ने अंग्रेजी में लिखे गए एक बयान पर जबरदस्ती दस्तखत करा लिए थे। साख के गंभीर संकट से जूझ रहे ईडी के लिए यह एक बड़ा झटका है। हालांकि ईडी के सूत्रों ने कहा है कि असीम दास ने बयान दिया था। लेकिन सबको पता है कि हिरासत में दिए गए बयान का क्या मतलब होता है। तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या मतदान से पहले बघेल को फंसाने के लिए यह कोई साजिश रची गई थी? यह भी सवाल है कि अगर साजिश है तो क्या ईडी को इस बारे में पता था या केंद्रीय एजेंसी अनजाने में इसमें फंसी? ध्यान रहे शुरुआती एक दो दिन के बाद भाजपा के किसी नेता ने यह मुद्दा नहीं उठाया था।