केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के लिए दो दिसंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। आमतौर पर सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक होती है क्योंकि उस दिन तक सभी पार्टियों के नेता दिल्ली पहुंच गए होते हैं। लेकिन इस बार चार दिसंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र से दो दिन पहले दो दिसंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। गौरतलब है कि तीन दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। इसलिए सारी पार्टियों के नेता चुनाव नतीजों और उसके बाद के राजनीतिक हालात पर विचार विमर्श में उलझी रहेंगी इसलिए दो तारीख को ही बैठक बुलाई गई है। लेकिन सवाल है कि क्या दो दिसंबर को पार्टियां संसद सत्र का एजेंडा तय कर पाएंगी?
विपक्षी पार्टियों के जानकार नेताओं का कहना है कि दो दिसंबर की बैठक सिर्फ औपचारिकता के लिए हो रही है। इसी वजह से विपक्षी पार्टियां अपनी बैठक नहीं कर रही हैं। उनकी बैठक तीन दिसंबर की शाम को या चार दिसंबर की सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कमरे में होगी। उसी समय संसद सत्र की रणनीति बनाए जाएगी। बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों को पता है कि संसद के इस सत्र में क्या मुद्दे उठाने हैं और केंद्र को किस मुद्दे पर घेरना है। लेकिन उसकी तीव्रता कितनी होगी इसका पता चुनाव नतीजों से चलेगा। अगर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो विपक्ष ज्यादा आक्रामक नहीं हो सकेगा। लेकिन अगर भाजपा खराब प्रदर्शन करती है और कांग्रेस की स्थिति बेहतर रहती है तो नेशनल हेराल्ड मामले में हुई कार्रवाई से लेकर संजय सिंह की गिरफ्तारी और महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई से लेकर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति व कानूनों में बदलाव के लिए लाए गए बिल को लेकर विपक्ष बहुत आक्रामक तरीके से हमलावर रहेगा।