देश के कई बड़े प्रादेशिक क्षत्रपों के बारे में अचानक चर्चा शुरू हो गई है कि वे रिटायर हो रहे हैं। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल में तृणमूल की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के बारे में कहा जा रहा है कि वे पीछे हट रहे हैं और नई पीढ़ी पार्टी की कमान संभालेगी। लेकिन सचमुच में ऐसा नहीं है। ये नेता अपने परिवार की दूसरी पीढ़ी को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन खुद रिटायर नहीं हो रहे हैं। पार्टी के अंदर भी इन नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे सक्रिय राजनीति में रहेंगे।
मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को देश के 26 राज्यों का जिम्मा सौंपा है। लेकिन पूरी पार्टी की कमान उनके हाथ में नहीं दी। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का काम अपने ही पास रखा है। ध्यान रहे बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश की ही पार्टी है। हालांकि उत्तर प्रदेश में भी उसका वोट 2007 के चरम यानी 30 फीसदी से घट कर 2022 में 12.88 फीसदी पर आ गया है। देश के हर राज्य में पार्टी अपना वोट आधार गंवा चुकी है। अगर उसकी वापसी होती है तो वह उत्तर प्रदेश से ही होगी। इसलिए मायावती ने इसे अपने पास रखा है। चुनावी तालमेल करने और अगली बार लड़ने की रणनीति बनाने का फैसला वे खुद करेंगी। तभी पार्टी के नेता बता रहे हैं कि आकाश पहले से नेशनल कोऑर्डिनेटर थे। उनकी भूमिका थोड़ी बढ़ाई गई है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मायावती रिटायर होने जा रही हैं।
इस तरह के चंद्रशेखर राव के लिए कहा जा रहा था कि वे चुनाव हारने के बाद अब सक्रिय राजनीति से अलग होंगे। वे अगले साल फरवरी में 70 साल के होने वाले हैं। ऊपर से चुनाव हारने के बाद एक मामूली दुर्घटना में उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई, जिसकी सर्जरी हुई है। तभी कहा जा रहा था कि वे अपने बेटे केटी रामाराव और भतीजे टी हरीश राव को पार्टी की कमान सौंप देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। चुनाव हारने के बाद हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में राव को नेता चुना गया। यानी वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। अभी बेटे और भतीजे को इंतजार करना होगा।
उधर पश्चिम बंगाल में तो ममता बनर्जी रिटायर होने में इतनी देरी कर रही हैं कि पार्टी के अंदर विवाद शुरू हो गया है। पार्टी के भीतर ममता और उनके भतीज अभिषेक बनर्जी के समर्थकों के दो खेमे बन गए हैं। ममता बनर्जी अगले महीने पांच जनवरी को 69 साल की होगीं। लेकिन अभिषेक समर्थकों का कहना है कि अभी ममता को अभी से अभिषेक को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए ताकि पार्टी 2026 में उनके नाम और काम पर चुनाव लड़े। परंतु ममता इसके लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने पिछले दिनों पार्टी पदाधिकारियों की नेताजी सुभाष इनडोर स्टेडियम में बैठक की दूसरे पदाधिकारियों की ही तरह अभिषेक को बाद में सूचना दी गई, जिसकी वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हुए। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद ममता इस बारे में कुछ सोच सकती हैं।