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शास्त्री की सब मिसाल दे रहे हैं, नीतीश की नहीं

ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे के बाद विपक्षी पार्टियों के नेता रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांग रहे हैं। कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि वैष्णव को लाल बहादुर शास्त्री की तरह नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि रेल मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वे कहीं नहीं जा रहे हैं यानी इस्तीफा नहीं देने वाले हैं। वैसे भी नरेंद्र मोदी सरकार में किसी भी घटना की जिम्मेदारी लेने या उसके आधार पर इस्तीफा देने का चलन नहीं है। फिर भी विपक्षी पार्टियां मांग कर रही हैं। अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगने वाले सभी नेता लाल बहादुर शास्त्री की मिसाल दे रहे हैं, जिन्होंने करीब छह दशक पहले इस्तीफा दिया था लेकिन कोई नीतीश कुमार की मिसाल नहीं दे रहा है।

नीतीश कुमार ने 1999 में रेल मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। पांच अगस्त 1999 को असम के गैसल में ट्रेन दुर्घटना हुई थी, जिसमें 290 लोगों की मौत हुई थी। उस घटना को रेलवे की बड़ी चूक बताते हुए नीतीश कुमार ने जिम्मेदारी ली थी और इस्तीफा दे दिया था। यह तब हुआ था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनका इस्तीफा नहीं ले रहे थे। बहरहाल, उसके बाद बालासोर का हादसा पिछले ढाई दशक का और इस सदी का सबसे बड़ा हादसा है। इसमें मरने वालों की संख्या गैसल से बढ़ भी सकती है। हादसे के बाद नीतीश कुमार और उनकी सहयोगी राजद के नेताओं ने नीतीश के इस्तीफा देने वाला वीडियो निकाला है और उसे सोशल मीडिया में वायरल किया है। वीडियो में नीतीश कह रहे हैं कि वे रेलवे की चूक की जिम्मेदारी ले रहे हैं और इस्तीफा दे रहे हैं। कायदे से सभी विपक्षी पार्टियों को चाहिए कि नीतीश का वीडियो दिखा कर मौजूदा रेल मंत्री से इस्तीफा मांगें। लेकिन कोई ऐसा करेगा नहीं क्योंकि इससे नीतीश के नेता बनने का अवसर बनेगा।

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