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भगत सिंह की शहादत याद नही रही

ऐसा लग रहा है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, दिल्ली सरकार के बजट और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों का मोर्चा बनाने में लगे अरविंद केजरीवाल को शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत याद नहीं रही। उनकी सरकार का विज्ञापन का बजट 568 करोड़ रुपया हो गया है, जो शीला दीक्षित के कार्यकाल के आखिरी पूर्ण साल यानी 2012-13 में सिर्फ 15 करोड़ रुपए का था लेकिन केजरीवाल की सरकार ने 23 मार्च को सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की शहादत दिवस के मौके पर कोई विज्ञापन नहीं दिया। आमतौर पर दिल्ली के अखबार दिल्ली सरकार के विज्ञापनों से भरे रहते हैं लेकिन भगत सिंह की शहादत पर विज्ञापन नहीं छपा।

इतना ही नहीं अब तो पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है, जिसके विज्ञापन दिल्ली से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक तक के अखबारों में छपते रहते हैं। लेकिन पंजाब सरकार का विज्ञापन भी भगत सिंह के शहादत दिवस पर दिल्ली के अखबारों में नहीं छपा। सोचें, अरविंद केजरीवाल ने योजना के तहत यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी की सरकारें दफ्तरों में भगत सिंह और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाएगी। उन्होंने महात्मा गांधी की तस्वीर हटा कर भगत सिंह और अंबेडकर की तस्वीर लगाई। लेकिन भगत सिंह की शहादत को सम्मान देने का विज्ञापन नहीं छपवाया। दिल्ली के अखबारों में एक विज्ञापन हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार का दिखा और दूसरा मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार है। न तो केंद्र सरकार ने विज्ञापन दिया और न दिल्ली व पंजाब सरकार का विज्ञापन आया।

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