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बसपा के नेताओं में बेचैनी

जैसे जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की बेचैनी बढ़ रही है। उनको समझ नहीं आ रहा है कि उनकी पार्टी क्या करेगी और उनको क्या करना चाहिए। असल में बसपा नेताओं खास कर पार्टी के सांसदों की परेशानी विधानसभा चुनाव नतीजों के समय से बढ़ी हुई है। विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई। इसका नतीजा यह हुआ है कि पार्टी पहले जीती एक सीट को छोड़ कर सब हार गई। बसपा के 2017 में 17 विधायक जीते थे लेकिन 2022 में सिर्फ एक विधायक जीता। तभी सांसदों को चिंता हो रही है कि अगर लोकसभा में भी बसपा और उसकी नेता मायावती निष्क्रिय रहती हैं तो उनका क्या होगा? उनको डर है कि भाजपा और सपा गठबंधन की सीधी लड़ाई में विधानसभा की ही तरह लोकसभा में भी बसपा साफ हो जाएगी।

तभी बताया जा रहा है कि बसपा के सांसद इधर उधर हाथ मार रहे हैं। पार्टी के 10 मे से आधे सांसद पार्टी बदलने की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि उनको लग रहा है कि बसपा के साथ रह कर वे जीत नहीं सकते हैं। तभी वे भाजपा या समाजवादी पार्टी की तरफ देख रहे हैं। पिछले दिनों अंबेडकरनगर के बसपा सांसद रितेश पांडेय ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। वे पहले लोकसभा में बसपा के नेता थे लेकिन कुछ दिन पहले मायावती ने उनको नेता पद से हटा दिया। कहा जा रहा है कि वे समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं। उनके पिता राकेश पांडेय पहले ही समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं। लोकसभा सीट बचाने की ऐसी बेचैनी बसपा के कई सांसदों में है।

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