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  • जेपीसी पर सारी पार्टियां खामोश हैं

    गिरफ्तारी और 30 दिन की हिरासत पर मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को पद से हटाने का कानून बनाने के लिए लाए गए तीनों विधेयकों पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन नहीं हो पाया है। गठन तो छोड़िए अभी तक किसी भी पार्टी ने इसके लिए नाम नहीं भेजे हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पिछले दिनों सभी पार्टियों को नाम भेजने के लिए चिट्ठी लिखी थी। लेकिन खुद ओम बिरला ने शनिवार, 13 सितंबर को बताया कि किसी पार्टी ने नाम नहीं भेजे हैं। यह भी दिलचस्प है कि किसी भी पार्टी ने इस...

  • विपक्ष क्यों इतना आशंकित है?

    मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करने के लिए लाए गए विधेयकों पर विपक्ष बहुत चिंतित है और आशंकित है। विपक्ष के सारे नेताओं की एक ही चिंता है कि केंद्रीय एजेंसियां खास कर सीबीआई और ईडी विपक्षी पार्टी की सरकारों को अस्थिर कर सकती हैं। उनका कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां मुकदमा करेंगी और मंत्री या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लेंगी। धन शोधन के कानून में जमानत के प्रावधान बहुत सख्त हैं इसलिए उनको 30 दिन तक जमानत नहीं मिलेगी और इस नाम पर उनको हटा दिया जाएगा। आशंका यही पर खत्म नहीं होती है।...

  • गिरफ्तार हुए तो जाएगी कुर्सी

    नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल की तरह जेल में रहते हुए अब कोई मुख्यमंत्री नहीं बना रह पाएगा और न सेंथिल बालाजी की तरह जेल में रहते हुए मंत्री बना रह पाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए तीन बिल पेश किए हैं। अगर ये बिल पास हुए और कानून बना तो गंभीर अपराध के मामले में मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भी गिरफ्तारी या 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद छोड़ना होगा। लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये तीनों बिल पेश किए और बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति में भेज दिया गया। संविधान में 130वें...

  • विपक्ष ने बिल की कॉफी फाड़ी

    नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी पर हटाने के लिए लाए जा रहे विधेयक लोकसभा में पेश किए तो विपक्षी सांसदों ने इसकी कॉपी फाड़ कर पुर्जे उड़ाए। कई सांसदों ने कागज फाड़ कर उनके गोले बनाए और गृह मंत्री की ओर फेंके। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी बिल की कॉपी फाड़ी। पेश करने के बाद बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। इन विधेयकों में प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है...

  • निर्विरोध चुनाव पर रोक लगनी चाहिए

    पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में 12 साल के बाद ऐसा हुआ कि एक सीट पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। 12 साल पहले जून 2012 में उत्तर प्रदेश की कन्नौज सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव निर्विरोध चुनाव जीती थीं। उसके 12 साल बाद अप्रैल 2024 में गुजरात की सूरत सीट पर भाजपा के उम्मीदवार महेश कुमार दलाल निर्विरोध चुने गए। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का परचा रद्द हो गया। निर्वाचन अधिकारी को शिकायत मिली की उनके प्रस्तावकों के दस्तखत फर्जी हैं। कांग्रेस ने कवरिंग कैंडिडेट के तौर पर सुरेश पडसाला को...

  • राहुल पर स्पीकर की टिप्पणी का विवाद बढ़ा

    (Rahul Gandhi) नई दिल्ली। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर स्पीकर ओम बिरला की ओर से की गई टिप्पणी का मुद्दा लगातार दूसरे दिन उठाया। गुरुवार को विपक्षी पार्टियों ने इस टिप्पणी पर राजनीति किए जाने का आरोप लगाया। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन स्पीकर से मुलाकात कर इस बात पर आपत्ति जताई कि नेता प्रतिपक्ष को सदन में नहीं बोलने दिया जा रहा है। गुरुवार को स्पीकर से मुलाकात में विपक्षी नेताओं ने सदन में राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर अपना नाराजगी...

  • एनडीए की एकता कायम रहेगी?

    unity of nda: भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की पार्टियों ने वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के बिल पर कमाल की एकता दिखाई। कई पार्टियां संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की बैठक से पहले तेवर दिखा रही थीं। अपने अपने राज्य की स्थानीय राजनीति के लिहाज से पार्टियों ने पोजिशनिंग की थी। बिहार की पार्टियों ने अलग रुख अख्तियार किया था। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से इसे लेकर सवाल उठाए गए थे।(unity of nda) इसका कारण यह था कि बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने दोनों पर...

  • शिंदे के सात सांसदों की ताकत ज्यादा बड़ी

    Maharashtra politics, दिल्ली में इस बात की बहुत चर्चा रही कि भाजपा क्यों एकनाथ शिंदे को इतना महत्व दे रहे हैं? जब उसके पास अकेले 132 सीटें हैं तो निश्चित रूप से सीएम पद पर उसका दावा है और उसने विधानसभा चुनाव शिंदे के नाम पर लड़ा भी नहीं था, बल्कि चुनाव के समय ही कह दिया गया था कि नतीजों के बाद मुख्यमंत्री तय होगा, फिर क्यों भाजपा उनको मनाने में इतना समय जाया कर रही है? इन सवालों के जवाब मुश्किल नहीं हैं। असल में दो कारणों से भाजपा शिंदे को इतना महत्व दे रही है और महाराष्ट्र...

  • संविधान के 75 साल पूरे होने पर विशेष सत्र

    नई दिल्ली। संविधान अंगीकार करने के 75 साल पूरे होने के मौके पर मंगलवार, 26 नवंबर को पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष सत्र का आयोजन हुआ। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के साथ पक्ष और विपक्ष के सभी सांसद मौजूद रहे। इस आयोजन की थीम ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ रखी गई थी।  इस मौके पर विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। साथ ही संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रतियां भी जारी की गईं। इसके अलावा दो किताबों, 'भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक' और 'भारतीय संविधान...

  • 52 दरवाजों से जलील की सवारी या खैरे या भुमरे की?

    संभाजीनगर (महाराष्ट्र)। औरंगाबाद दरवाजों का शहर है। लेकिन अब यह औरंगाबाद नहीं, छत्रपति संभाजीनगर के नाम से जाना जाता है। यदि शहर को उसके नए नाम संभाजीनगर (छत्रपति संभाजीनगर का संक्षिप्त संस्करण) से नहीं पुकारा जाता, तो स्थानीय लोग नाराज हो जाते हैं। एक ने तो स्पष्ट शब्दों में मुझसे कहा, "मैडम, संभाजीनगर बोलिए"। औरंगाबाद से श्रुति व्यास बावन दरवाजे वाले संभाजीनगर में इस बार 37 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन वास्तविक लड़ाई तीन धड़ों और दो उम्मीदवारों के बीच है। दो सेनाएं एक दूसरे के मुकाबिल हैं - शिवसेना (ठाकरे) के उम्मीदवार हैं चन्द्र कांत खैरे (जो...

  • एक दिन में 78 सांसद निलंबित

    नई दिल्ली। भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक दिन में 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। शीतकालीन सत्र के 11वें दिन सोमवार को संसद के दोनों सदनों के 78 सांसदों निलंबित कर दिया गया। दोनों सदनों के 14 सांसद पहले से निलंबित हैं। इस तरह 92 सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची हुई अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर दोनों सदनों में सदस्य हंगामा कर रहे थे और केंद्री गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग कर रहे थे।...

  • राहुल की सदस्यता बहाल करने को चुनौती

    नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। लखनऊ के वकील अशोक पांडे ने इस फैसले को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। गौरतलब है कि मोदी उपनाम से जुड़े मामले में सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गांधी की सदस्यता 24 मार्च को रद्द की गई थी। हाई कोर्ट ने भी इस मामले में राहुल को राहत नहीं दी थी। हालांकि चार अगस्त को...

  • निलंबन पर कोर्ट जाना ठीक नहीं होगा

    लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का कांग्रेस का आइडिया सही नहीं है। यह सही है कि अधीर रंजन चौधरी को सामान्य सांसद नहीं हैं। वे लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता हैं और इस नाते कई संवैधानिक जिम्मेदारियां उनके पास हैं। वे लोक लेखा समिति के अध्यक्ष हैं, कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य हैं और सीबीआई के निदेशक को नियुक्त करने वाली कमेटी के सदस्य भी हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सदन के अंदर हुए किसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए।...

  • बिना चर्चा के विधेयक पास होने के खतरे

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय वित्त व गृह मंत्री और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम ने छह अगस्त को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार के अपने साप्ताहिक स्तंभ में ‘लेजिस्लेटिंग ऑथोरिटेरियनिज्म’ शीर्षक से लेख लिखा। इस शीर्षक का मोटा-मोटी अनुवाद यह है कि अधिनायकवाद को विधायी रूप देना या विधायी अधिनायकवाद। उन्होंने अपने लेख में संसद में पेश हुए या पास हुए तीन विधेयकों का जिक्र किया।उन्होने बताया कि कैसे इन विधेयकों के जरिए ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं, जो कानूनी रूप से सही नहीं हैं। उन्होंने सिर्फ तीन विधेयकों का जिक्र किया लेकिन इनके अलावा भी कई विधेयक हैं, जिनसे...

  • उपचुनावों का भी असर होगा

    कर्नाटक विधानसभा के साथ साथ चार राज्यों में लोकसभा की एक और चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। उपचुनाव के सारे नतीजे बड़ा असर डालने वाला हैं। इसमें भी खासतौर से उत्तर प्रदेश की स्वार विधानसभा, पंजाब की जालंधर लोकसभा और ओडिशा की झारसुगौडा सीट बहुत महत्व की है। आमतौर पर उपचुनावों से सरकारों की स्थिरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन उनसे आगे की राजनीति प्रभावित होती है। इन तीनों सीटों के नतीजे संबंधित राज्यों की राजनीति को प्रभावित करेंगे। इसके साथ साथ आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल की राजनीति भी प्रभावित होगी।...

  • विपक्ष की कितनी बैठक होगी?

    कांग्रेस पार्टी की ओर से विपक्षी नेताओं को एक करने के लिए उनकी बैठक करने की पहल हुई है। अप्रैल में यह बैठक हो सकती है। लेकिन सवाल है कि विपक्ष की कितनी बैठकें होंगी? कितने नेता विपक्ष की एकता की पहल करेंगे और किसकी पहल को केंद्रीय पहल माना जाएगा? ध्यान रहे तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली में हैं और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। उनकी पार्टी के सांसद विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हैं। उनके दो दिन के प्रदर्शन में ज्यादा से ज्यादा विपक्षी पार्टियों को...

  • बसपा के नेताओं में बेचैनी

    जैसे जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की बेचैनी बढ़ रही है। उनको समझ नहीं आ रहा है कि उनकी पार्टी क्या करेगी और उनको क्या करना चाहिए। असल में बसपा नेताओं खास कर पार्टी के सांसदों की परेशानी विधानसभा चुनाव नतीजों के समय से बढ़ी हुई है। विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई। इसका नतीजा यह हुआ है कि पार्टी पहले जीती एक सीट को छोड़ कर सब हार गई। बसपा के 2017 में 17 विधायक जीते थे लेकिन 2022 में सिर्फ एक विधायक जीता। तभी सांसदों को...

  • सत्ता का मद ठीक नहीं

    राजनीतिक दायरे में अगर सबसे तीखी जुबान बोलने वाली शक्ति की पहचान की जाए, तो उसमें आज की सत्ताधारी पार्टी और उसके पुराने एवं वर्तमान नेताओं के नाम संभवतः सबसे ऊपर की श्रेणी में आएंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा सुनाने और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता खारिज करने की पूरी प्रक्रिया पर अगर गंभीरता से सोचा जाए, यह कहने का पूरा आधार नजर आता है कि ये पूरा प्रकरण कानून नहीं, बल्कि राजनीतिक है। मुमकिन है कि लंबी अवधि में राहुल गांधी कानूनी प्रक्रिया से भी इसमें कुछ राहत हासिल कर लें। लेकिन यह उन्हें...

  • राहत लेकर राहुल क्या करेंगे?

    कांग्रेस पार्टी के नेता भरोसे में हैं कि राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत मिल जाएगी। लेकिन सवाल है कि राहत लेकर राहुल गांधी क्या करेंगे? क्या कोर्ट से राहत हासिल करके अपनी लोकसभा की सदस्यता बहाल करा लेंगे तो उससे राहुल को फायदा होगा? क्या उसके बाद कांग्रेस इस बात का प्रचार करेगी कि सरकार अदालत में हार गई? इसका कोई राजनीतिक फायदा कांग्रेस को नहीं मिलेगा। इसकी बजाय राहत हासिल करने के बाद अगर राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दें वह उनके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। लेकिन उससे पहले राहत की संभावना...

  • तवारीख़ी तहरीर बदलने की ख़ुशबू

    मेरा मानना है कि लोकसभा से राहुल की सदस्यता ख़त्म करने के फ़ैसले ने सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के निर्वाण के सफ़र की दूरी अब बहुत छोटी कर दी है। सियासत तकनीकी दांवपेंच का खेल नहीं होता है। बहानों के जाल बिछा कर अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने की कुचालें दीर्घकालीन राजनीति में उलटबांसी साबित होती हैं। इसकी एक नहीं, कई मिसालें भारतीय राजनीति ने देखी हैं। सियासी कुरुक्षेत्र में तो मुकाबला आमने-सामने का होता है। सो, मान कर चलिए कि राहुल का निष्कासन अब सड़क को ही संसद बना देगा। पहले मुझे ‘दो जिस्म, एक जान’ वाले कथन...

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