सीपीआई छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए फायरब्रांड युवा नेता कन्हैया कुमार को कांग्रेस में उन्हीं मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो बाहर से आने वाले किसी दूसरे नेता को होती है। कांग्रेस के नेता उनको कोई अहम पद दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। जिस पद के लिए उनका नाम चल रहा है वहां उनका विरोध शुरू हो जा रहा है। उनको श्रीनिवास बीवी की जगह यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चली थी, लेकिन कई नेताओं ने उसमें फच्चर डाल दिया है। इस वजह से फैसला अटका हुआ है। इसी तरह उनको दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की चर्चा शुरू हुई तो कांग्रेस के तमाम पुरान नेता अपनी आपसी दुश्मनी भूल कर उनको रोकने में लग गए। हालांकि कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि प्रवासी और मुस्लिम वोट कांग्रेस में वापस लाने में कन्हैया बेहतर चेहरा हो सकते हैं।
इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान उनके बारे में फैसला नहीं कर पा रहा है। गौरतलब है कि कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी का कार्यकाल पूरा हो गया है। और वैसे भी पिछले साल दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस की बुरी हार के बाद उनको बदलना तय था। लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। कांग्रेस में बरसों से दो खेमे थे। एक शीला दीक्षित का और दूसरा अजय माकन का। शीला दीक्षित के निधन के बाद उनका खेमा कमजोर हुआ था और माकन की ताकत बढ़ी। हालांकि पिछले कुछ दिनों से शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित सक्रिय हुए हैं। बताया जा रहा है कि संदीप दीक्षित और अजय माकन दोनों ने पुरानी दुश्मनी भूल कर साथ आ गए हैं ताकि कन्हैया कुमार को दिल्ली का अध्यक्ष बनने से रोका जा सके। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेताओं का विरोध देख कर कांग्रेस आलाकमान के लिए कन्हैया को नियुक्त करना मुश्किल हो रहा है।