कर्नाटक में भाजपा दो बार में नौ साल सत्ता में रही है और इस दौरार चार मुख्यमंत्री बने हैं। बसवराज बोम्मई उनमें से आखिरी हैं। उनसे पहले के तीन में से बीएस येदियुरप्पा को छोड़ कर बाकी दो मुख्यमंत्रियों की स्थिति कोई अच्छी नहीं रही। पहली बार येदियुरप्पा हटे थे तो उनकी जगह डीबी सदानंद गौड़ा को सीएम बनाया गया था। लेकिन वे जल्दी ही हटा दिए गए थे। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो वे रेल मंत्री बने लेकिन वहां से भी जल्दी ही हटा दिए गए। उसके बाद एक दो और मंत्रालयों में रहे लेकिन अब कहीं गुमनामी में हैं। हाल में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी वे कहीं दिखाई नहीं दिए। उनके बाद जगदीश शेट्टार मुख्यमंत्री बने थे और इस बार चुनाव में भाजपा ने उनकी टिकट काट दी, जिसके बाद वे कांग्रेस में चले गए।
तभी सवाल है कि अब बसवराज बोम्मई का क्या होगा? भाजपा ने अभी तक उनके बारे में फैसला नहीं किया है। ध्यान रहे 2013 में जब भाजपा विधानसभा का चुनाव हारी थी तब जगदीश शेट्टार विधानसभा में और डीवी सदानंद गौड़ा विधान परिषद में पार्टी के नेता बनाए गए थे। उसी लाइन पर क्या भाजपा बोम्मई को भी विधानसभा में नेता विपक्ष बनवाएगी? ध्यान रहे पिछला विधानसभा चुनाव एक तरह से उनकी सरकार पर जनमत संग्रह की तरह लड़ा गया था और भ्रष्टाचार और नाकामी के गंभीर आरोप लगे थे। इसी आधार पर पार्टी के कई नेता नया चेहरा आगे करने की मांग कर रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा के लिए नेता चुनना बहुत आसान नहीं होगा। उसमें बीएस येदियुरप्पा की भी अहम भूमिका होगी। लेकिन यह आम धारणा है कि येदियुरप्पा किसी तरह से बोम्मई को किनारे करने की कोशिश करेंगे क्योंकि वे भी लिंगायत हैं।