के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता ने 10 मार्च को दिल्ली में जंतर मंतर पर एक दिन की भूख हड़ताल की थी, जिसमें 15 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए। ईडी से पूछताछ से एक दिन पहले कविता की भूख हड़ताल महिला आरक्षण बिल को लेकर थी। वे सरकार पर दबाव बना रही हैं कि सरकार महिला आरक्षण बिल पास कराए। उन्होंने फिर 15 मार्च को इस मसले पर बैठक की, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा लिया। अब सवाल है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति और उसकी नेता के कविता को महिला आरक्षण का मुद्दा बनाने की क्या जरूरत है?
के कविता के पिता के चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं और भारत राष्ट्र समिति के सर्वेसर्वा हैं। वे चाहें तो बिना कानून के ही अपनी पार्टी में 33 फीसदी या उससे ज्यादा महिलाओं को टिकट देकर मिसाल बना सकते हैं? वे पहले पार्टी में शुरुआत करें। एक तिहाई महिलाओं को टिकट दें और उसके बाद महिला आरक्षण का मुद्दा बनाएं तो ज्यादा असर होगा। के कविता की महिला आरक्षण वाली मीटिंग के बाद तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने यह बात कही। पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी में करीब 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दे दी।
ओड़िशा में भी बीजू जनता दल के नेता और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक तिहाई से ज्यादा महिलाओं को टिकट दी। इनके मुकाबले बीआरएस में महिलाओं को टिकट देने का प्रतिशत बहुत कम है। सो, पहले कविता अपनी पार्टी में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़वाएं और उसके बाद महिला आरक्षण का मुद्दा उठाएं।