बिहार में लालू प्रसाद के परिवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच तेज हो गई है। जमीन के बदले नौकरी देने के कथित घोटालें दो केंद्रीय एजेंसियों- सीबीआई और ईडी का शिकंजा कस रहा है। इस मामले में लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के साथ साथ उनके बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी निशाने पर हैं। इनके अलावा लालू प्रसाद की चार बेटियों का भी नाम किसी न किसी तरह से शामिल है। सीबीआई लालू और राबड़ी से पूछताछ कर चुकी है और तेजस्वी यादव को दो बार समन जारी हो चुका है। किसी न किसी बहाने वे अभी हाजिर होने से बचते रहे हैं। लेकिन जल्दी ही सीबीआई के सामने उनकी पेशी होगी और उसके बाद ईडी भी पूछताछ करेगी।
सीबीआई रेलवे में भर्ती के कथित घोटाले में पहले छापा मारा था और अब ईडी ने तेजस्वी व उनकी बहनों के यहां छापेमारी की है। यह पूरा मामला दिल्ली के शराब घोटाले की तरह आगे बढ़ रहा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दोनों एजेंसियां इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार करें। पहले लालू प्रसाद के निजी सहयोगी रहे पूर्व विधायक भोला यादव को सीबीआई इसी मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। केंद्रीय एजेंसियों की इतनी आक्रामक कार्रवाई से पता नहीं भाजपा को कितना राजनीतिक फायदा होगा लेकिन राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को बड़ी राहत मिली है।
सीबीआई की पूछताछ और ईडी के छापों के बाद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग एकदम थम गई है। राजद नेता बैकफुट पर हैं। वे नीतीश के ऊपर दबाव नहीं बना रहे हैं कि जल्दी स जल्दी तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि तेजस्वी पहले ही कह चुके हैं कि उनको जल्दी नहीं है और जब मुख्यमंत्री बनना होगा, तब बनेंगे लेकिन पहले भाजपा को हराना है। लेकिन उनकी पार्टी के नेता दबाव बना रहे थे कि 2025 के विधानसभा चुनाव तक इंतजार करने की बजाय अभी ही तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। नीतीश कुमार को इसलिए भी राहत मिल गई है कि अगर राजद नेता दबाव बनाते हैं तो गठबंधन से बाहर होने का मजबूत बहाना मिल जाएगा। पिछले कुछ समय से यह चर्चा शुरू हो गई है कि वे फिर गठबंधन बदल कर सकते हैं। सो, राजद नेता उनको बहाना नहीं देना चाहते।
दूसरे, राजद नेताओं को यह भी समझ में आया है कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनना जोखिम का काम हो सकता है। अभी केंद्रीय एजेंसियों की जांच चल रही है। देर सबेर तेजस्वी को पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने हाजिर होना होगा और अगर उनको गिरफ्तार कर लिया जाता है तो बिहार में भगदड़ मच जाएगी। अगर उप मुख्यमंत्री रहते उनको गिरफ्तार किया जाता है तो परिवार का कोई दूसरा सदस्य उनकी जगह ले लेगा और सरकार चलती रहेगी। तभी ऐसा लग रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव तक नीतीश के ऊपर दबाव नहीं बढ़ेगा। अगर एजेंसी ने लालू परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया तो नीतीश के दोनों हाथ में लड्डू होंगे।