बिहार की राजनीति में मची उथल-पुथल में ठहराव आ सकता है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे राजद नेताओं को चुप रहने का मैसेज कर दिया गया है। खुद तेजस्वी ने साफ कर दिया है कि उनको मुख्यमंत्री बनने की जल्दी नहीं है। उन्होंने कहा है कि उनका मकसद 2024 में भाजपा को हराना है। अगर तेजस्वी इस बात पर तैयार हैं कि 2024 तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहें और सारी विपक्षी पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ें तो फिर महागठबंधन बने रहने में कोई दिक्कत नहीं है। इससे भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। भाजपा को लग रहा था कि राजद के नेता नीतीश पर दबाव बनाएंगे कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनवाएं। भाजपा को उम्मीद थी कि इस दबाव में नीतीश गठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ आएंगे और भाजपा तब अपना मुख्यमंत्री बनवा लेगी।
यहीं पर भाजपा से गलती हो गई। भाजपा ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि लालू प्रसाद के परिवार और उनकी पार्टी को सत्ता की कितनी जरूरत है। लालू प्रसाद और तेजस्वी दोनों को पता है कि नीतीश कुमार के अलावा उनको सत्ता कोई और नहीं दिला सकता है। अभी भले तेजस्वी उप मुख्यमंत्री हैं, लेकिन परोक्ष रूप से सत्ता उनके हाथ में है। वे अपने लोगों के काम करा रहे हैं। अधिकारी उनकी बात सुन रहे हैं। इससे जिला और प्रखंड स्तर पर राजद की ताकत बढ़ी है। तेजस्वी उप मुख्यमंत्री होने का फायदा यह है कि उनकी छवि मजबूत हो रही है। नेता के साथ साथ प्रशासन में भी वे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। उनको पता है कि नीतीश पर ज्यादा दबाव डालेंगे तो वे भाजपा के साथ चले जाएंगे। भले भाजपा उनको सीएम नहीं बनवाए लेकिन वे भाजपा का सीएम बनवा देंगे। तब राजद, तेजस्वी और पूरा लालू परिवार सत्ता से बाहर हो जाएगा। पिछली बार नीतीश पर दबाव डालने का नुकसान राजद उठा चुका है। यही नीतीश कुमार का एडवांटेज है, जिसकी वजह से अभी सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है और महागठबंधन की पार्टियां साथ मिल कर 2024 की योजना बना रही हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बिहार की सत्ता से ज्यादा अगले साल के लोकसभा चुनाव की चिंता है क्योंकि महागठबंधन रहा तो भाजपा को बड़ी दिक्कत होगी।