महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भले सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के सांसद और विधायक नाराज हैं। कई नेता अब खुल कर नाराजगी जाहिर करने लगे हैं। उनकी पहली नाराजगी इस बात को लेकर है कि एक साल होने के बाद भी पाला बदलने वाले ज्यादातर विधायकों को न मंत्री पद मिला है और न कोई दूसरा सरकारी पद मिला है। सांसदों को नाराजगी है कि उनको केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया। पहले कहा जा रहा था कि उद्धव ठाकरे गुट से अलग होकर जो 13 सांसद एकनाथ शिंदे गुट के साथ गए हैं उनमें से कम से कम दो को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन पिछले एक साल में मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल ही नहीं हुई, जो उनमें से किसी को जगह मिले।
पिछले दिनों शिंदे गुट के एक सांसद ने दिल्ली में एक अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अभी तक दिल्ली में उनको केंद्र सरकार के सहयोगी के तौर पर ही स्वीकार नहीं किया गया है। उनका कोई भी काम नहीं होता है। बिल्कुल यही शिकायत महाराष्ट्र में शिंदे गुट के विधायकों की है। उनका कहना है कि सरकार में होने के बावजूद उनके कहने से काम नहीं हो रहा है। एकनाथ शिंदे भले मुख्यमंत्री हैं लेकिन सरकार भाजपा की मानी जा रही है। ऊपर से 15 विधायकों के ऊपर अयोग्यता की तलवार लटकी है। हालांकि अब उनको लग रहा है कि स्पीकर का फैसला उनके पक्ष में आएगा लेकिन यह भी पता है कि उद्धव ठाकरे गुट उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा और कोर्ट का क्या रुख है, यह सबने देखा है। बृहन्नमुंबई महानगर निगम यानी बीएमसी सहित कई शहरों में नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है। सो, वहां भी नेता कुछ नहीं हैं और सारे काम अधिकारी कर रहे हैं।